नगर निगम में कामचोरी और घोटाला रोकने के लिए शुरू की गई स्मार्ट घड़ी योजना

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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 1100 सफाई कर्मचारियों को नगर निगम ने घड़ी दिया था, नगर निगम कक्ष से जीपीएस युक्त घड़ियां को संपर्क भी टूटा, 60 फीसदी घड़ियां खराब

पंचकूला। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम में कामचोरी और घोटाला रोकने के लिए शुरू की गई स्मार्ट घड़ी योजना ने दम तोड़ दिया है। अब एक भी कर्मचारी के कलाई पर निगम की जीपीएस युक्त ट्रैकिंग घड़ी नहीं दिखती। छह माह पहले ही उनका कंट्रोल रूम से संपर्क टूट चुका है। अब सफाई कर्मचारियों का लोकेशन नगर निगम ट्रैक नहीं कर पाता।

दरसअल नगर निगम की ओर से करीब 1100 कर्मचारियों को जीपीएस युक्त कलाई घड़ी हाजिरी के लिए दी गई थी। प्रत्येक घड़ी की रिपेयरिंग पर हर माह नगर निगम 400 रुपये खर्च भी करता था। इस हिसाब से हर माह करीब 440000 रुपये खर्च करता था। सालाना बात करें तो करीब 5280000 रुपये हुआ।

महापौर ने जांच के बाद तनख्वाह काटने के दिए थे निर्देश

कुछ माह पहले नगर निगम के महापौर कुलभूषण गोयल ने अटेंडेंस का निरीक्षण किया था। इस दौरान सैकड़ों कर्मचारियों ने हाथों में घड़ियां नहीं पहन रखी थीं। जिसके चलते महापौर ने कर्मचारियों का एक दिन का वेतन भी काटने का निर्देश दिया था। उसके बाद से यह प्रोजेक्ट लड़ खड़ा गया। आज इसका नामों निशान नहीं है। इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से लाभ हुआ या नहीं यह जांच का विषय है।

स्वच्छता में लापरवाही के बाद निगम ने लिया निर्णय

स्वच्छता से जुड़ी बार बार शिकायत मिलने के बाद नगर निगम ने सफाई कर्मचारियों को जीपीएस युक्त घड़ी दिया था। जिससे सफाई कर्मचारियों की लोकेशन ऑनलाइन कंट्रोल रूम को मिल रही थी। घड़ी में लगे बटन को ऑन करते ही उसकी उपस्थिति भी दर्ज हो जाती थी और यह भी पता चल पाता था कि सफाई कर्मचारी (ड्यूटी स्थल) तक पहुंच चुका है या नहीं।

जब सफाई कर्मचारियों को जीपीएस युक्त कलाई घड़ी अटेंडेंस के लिए वितरित की गई थी, उस समय पंचकूला में मेरी तैनाती नहीं थी। छह माह पहले तकनीकी कारणों के चलते ऑनलाइन घड़ी के जरिए अटेंडेंस की प्रक्रिया बंद कर दी गई है। अविनाश सिंगला, चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर नगर निगम पंचकूला।

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