चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर CISF महिला को थप्पड़ मारा, बीजेपी सांसद कंगना रनौत का आरोप, जानें थप्पड़ मारने पर क्या कहता है कानून?
हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुनी गईं कंगना रनौत को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर थप्पड़ मारने के मामले में सीआईएसएफ की एक महिला कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है. यह घटना चंडीगढ़ एयरपोर्ट से सामने आई है. सीआईएसएफ की एक महिला जवान ने उन्हें थप्पड़ मार दिया. कंगना ने किसान आंदोलन में महिला किसानों को लेकर बयान दिया था. इससे दुखी होकर सीआईएसएफ की महिला जवान कुलविंदर कौर ने उसे थप्पड़ मार दिया. कुलविंदर को हिरासत में ले लिया गया है.
घटना दोपहर करीब साढ़े तीन बजे की है. कंगना को चंडीगढ़ से दिल्ली जाना था. सीआईएसएफ की महिला कांस्टेबल कुलविंदर कौर ने सुरक्षा जांच के दौरान इस घटना को अंजाम दिया. इसके बाद कंगना के साथ आए मयंक मधुर ने कुलविंदर कौर को थप्पड़ मारने की कोशिश की. इस घटना को लेकर कंगना ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. वह फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हो गई हैं.
थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाना अपराध है या नहीं, कौन सी धारा लगेगी- जानिए आईपीसी की धारा 358
समाज में छोटे-मोटे विवाद होते रहते हैं। लगभग हर लड़ाई में कोई न कोई थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाता है। कई बार सामने वाले को डराने के लिए सड़क पर पड़ा पत्थर उठा लिया जाता है. यदि आपको थप्पड़ मारा जाता है या पत्थर मारा जाता है तो यह निश्चित रूप से एक अपराध है लेकिन क्या आप जानते हैं कि थप्पड़ मारने या मुक्का मारने के लिए हाथ उठाना या हमला करने के लिए पत्थर उठाना भी अपराध है। यदि किसी को मारने के लिए पत्थर फेंका जाए और वह निशाने पर न लगे तो भी यह अपराध है।
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 358 की परिभाषा
यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को धमकाने के लिए आपराधिक बल या प्रतीकात्मक हमले का उपयोग करता है, जिससे कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन पीड़ित को घबराहट होती है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 358 के तहत दोषी ठहराया जाएगा।
धारा 355 और धारा 358 के बीच अंतर
1. धारा 355 वहां लागू होती है जहां अवमानना करने के लिए आपराधिक बल या हमले का इस्तेमाल किया गया हो।
2. धारा 358: किसी भी उद्देश्य के लिए आपराधिक बल या हमले में जरूरी नहीं कि अवमानना शामिल हो।
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भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 358 के तहत सजा का प्रावधान:-
इस धारा के तहत अपराध, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की अनुसूची 1 से धारा 320 के तहत, आपराधिक बल द्वारा धमकी या किसी व्यक्ति द्वारा हमला है। ये गैर-संज्ञेय और जमानती अपराध हैं, किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट को इनका मुकदमा चलाने का अधिकार है।
सज़ा:- इस अपराध के लिए एक महीने की कैद या दो सौ रुपये का जुर्माना या दोनों।
इस मामले पर कंगना ने क्या कहा, देखें वीडियो<
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