‘आप BBMB के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकते’, जल विवाद पर हाईकोर्ट की पंजाब सरकार को फटकार

बाद में 24 अप्रैल को बीबीएमबी ने इस निर्णय की पुष्टि की। हालांकि, पंजाब ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हरियाणा और राजस्थान अपनी तय हिस्सेदारी से अधिक पानी मांग रहे हैं।
साथ ही, पंजाब को यह भी आदेश दिया गया कि वह भारत सरकार के गृह सचिव की अध्यक्षता में 2 मई को हुई बैठक के निर्णय का पालन करे, जिसमें हरियाणा के लिए 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का फैसला हुआ था।
फैसले में अदालत ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड नियम, 1974 का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया कि बीबीएमबी एक केंद्रीय निकाय है और उसका नियंत्रण केंद्र सरकार के अधीन है। किसी भी असहमति की स्थिति में राज्य सरकार को केंद्र के माध्यम से ही आपत्ति दर्ज करनी चाहिए, न कि सीधे हस्तक्षेप करना चाहिए।
पंजाब की ओर से यह तर्क दिया गया कि उन्होंने केवल बांध की सुरक्षा के लिए पुलिस भेजी थी और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य की है। जबकि हरियाणा ने पेयजल संकट को उजागर करते हुए पानी की मांग को उचित ठहराया। केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने अदालत को बताया कि यह पानी दिल्ली और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों के लिए भी जीवन रेखा है।
यह सुझाव कि भविष्य में इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिए भाखड़ा बांध की सुरक्षा अर्धसैनिक बलों को सौंपी जाए। कोर्ट ने इस सुझाव पर कोई आदेश नहीं दिया, लेकिन इसे बीबीएमबी और केंद्र सरकार के विचारार्थ छोड़ दिया।