योगगुरु रामदेव बोले- बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों पर हमले चिंताजनक, भारत अपनी ताकत दिखाए

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योगगुरु रामदेव ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि भारत को बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ एकजुटता दिखानी चाहिए और उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए। न्यूज एजेंसी ANI के साथ चर्चा में रामदेव ने इन सुनियोजित हमलों को ‘शर्मनाक और खतरनाक’ करार दिया और कहा कि भारत को सतर्क रहना होगा ताकि हिंदू समुदाय की माताओं, बहन-बेटियों की गरिमा और सम्मान सुरक्षित रहे।

  • उन्होंने कहा, “मुझे डर है कि हमारे हिंदू भाइयों की माताओं, बहनों और बेटियों की इज्जत दांव पर न लगे। पूरे देश को अपने अल्पसंख्यक हिंदू भाइयों के साथ पूरी ताकत से खड़ा होना पड़ेगा। भारत को सतर्क रहना होगा।”
  • 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका का जिक्र करते हुए रामदेव ने कहा- “हमने बांग्लादेश को खड़ा करने में मदद की। अगर हम बांग्लादेश बना सकते हैं, तो हमें वहां रहने वाले हिंदुओं की सुरक्षा के लिए भी अपनी ताकत दिखानी चाहिए।”
  • पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक ने कहा कि भारत में कुछ लोग जाति, धर्म और आरक्षण के मुद्दों को उठाकर असंतोष फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी कोशिशें ‘देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा’ हैं और हमें इन प्रयासों का मजबूती से मुकाबला करना चाहिए।

रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश में उभरती राजनीतिक स्थिति का फायदा उठाकर कुछ चरमपंथी ताकतें हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही हैं। बांग्लादेश की सेना पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़कर भागने के बाद एक अंतरिम सरकार बनाने की कवायद में जुटी है। हसीना के इस्तीफे की मांग करते हुए कोटा विरोधी प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, जिसके बाद उन्हें देश छोड़ना पड़ा।

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (BHBCUC) ने कहा कि शेख हसीना के भारत भागने के बाद से करीब 200-300 हिंदू घरों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर हमले किए गए। ग्रुप ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि 15-20 मंदिरों पर हमला किया गया है और 40 लोग घायल हुए हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी मंगलवार को संसद में बयान देते हुए बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर इसी तरह की चिंताओं को व्यक्त किया था।

पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने इन हमलों का जिक्र करते हुए कुछ महीने पहले लागू किए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की जरूरत को सही ठहराया, जो भारत के पड़ोसी देशों से धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है।

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