महाकुंभ में क्यों मची भगदड़; कौन है जिम्मेदार? इन 5 अफसरों की गलती से कुचले गए लोग; जानिए पूरी कहानी

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28 जनवरी की देर रात प्रयागराज के संगम नोज इलाके में भगदड़ मचने से हड़कंप मच गया। प्रशासन के मुताबिक इस हादसे में 30 लोगों की मौत हुई, जबकि रिपोर्ट्स में मृतकों की संख्या 35 से 40 बताई जा रही है। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का शाही स्नान पूरा हो गया, लेकिन इन मौतों के लिए जिम्मेदार कौन है, यह सवाल अब भी बना हुआ है। आइए, जानते हैं कि आखिर किन गलतियों की वजह से यह भयानक हादसा हुआ। इसके लिए किन अफसरों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और क्यों। जानें महाकुंभ में मची भगदड़ की पूरी कहानी।

 

 

सामने आई कई लापरवाहियां
अगर भगदड़ से पहले की एक-एक कड़ी जोड़ें तो सारी कहानी साफ होती होती चली जाती है। पता चलता है कि भगदड़ किसी एक गलती की वजह से नहीं हुई, बल्कि बीते दो दिनों से चल रही कई गलतियों का नतीजा थी। साल भर की तैयारी और 7,535 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद महाकुंभ में व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। हादसे की जिम्मेदारी संभालने वाले 5 अहम अधिकारी लापरवाही के कटघरे में खड़े हैं। जांच कमेटी गठित कर दी गई है। हालांकि, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि इस हादसे के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं।

27 जनवरी से शुरू हो गई थीं प्रशासन की गलतियां
27 जनवरी से ही प्रयागराज में भारी भीड़ उमड़ने लगी थी। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या होने के कारण करीब 1.6 करोड़ लोग पहले ही मेले में पहुंच चुके थे। इसी दौरान मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने वायरलेस मैसेज भेजकर पांटून ब्रिज नंबर-7 को अचानक बंद करवा दिया। इसे ही भगदड़ मचने की पहली वजह मानी जा रही है। गौर करने वाली बात है कि भदगड़ मचने के 17 घंटों तक मेला प्रशासन की ओर से भगदड़ में कितनी मौतें हुई इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। कई श्रद्धालु अपने परिजनों की तलाश में रोते-बिलखते मेला क्षेत्र में भटकते नजर आए।

 

 

5 घंटे तक फंसी भीड़ की सब्र का बांध टूटा
प्रशासन ने ब्रिज नंबर-7 बंद करने के बाद भीड़ को पांच घंटे तक रोके रखा। इंतजार कर रहे लोगों के सब्र का बांध टूट गया। लोग गुस्से में आ गए। लोगों ने जब देखा कि SDM सदर की गाड़ी के लिए पुल खोला गया तो श्रद्धालु उग्र हो उठे। अफसरों के साथ वहां मौजूद श्रद्धालुओं की झड़प हुई और भगदड़ मच गई। इसी दौरान पांटून ब्रिज नंबर-13, 14, 15 खोलने पड़े। कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें लोग VIP मूवमेंट के कारण कई किलोमीटर पैदल चलने की शिकायत कर रहे थे।

किन पांच अफसरों को ठहराया जा रहा जिम्मेदार और क्यों:

  • मेला अधिकारी विजय किरण आनंद को भीड़ का अंदाजा होने के बावजूद उन्होंने समय रहते अतिरिक्त पुल नहीं खोले।
  • SSP राजेश द्विवेदी की जिम्मेदारी संगम नोज इलाके में भीड़ को नियंत्रित करने की थी, लेकिन सुरक्षा इंतजाम नाकाफी थे।
  • महाकुंभ के DIG वैभव कृष्ण ने सिर्फ सतर्क रहने की वीडियो अपील की, लेकिन ग्राउंड लेवल पर ठोस व्यवस्था नहीं की गई।
  • सेक्टर मजिस्ट्रेट विनय कुमार मिश्रा को क्राउड मैनेजमेंट की सूचना समय पर देनी थी। लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहे।
  • कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने माइक से कहा कि जो सोएगा, वो खोएगा, उठिए,स्नान कीजिए। इसके बाद मची अफरा तफरी।

VIP मूवमेंट ने बढ़ाई भीड़, बंद रहे रास्ते
27-28 जनवरी को कुंभ मेले में गृह मंत्री अमित शाह, बाबा रामदेव, किरन रिजिजू, अरुण गोविल, अमेरिकी रॉक बैंड कोल्डप्ले के सिंगर क्रिस मार्टिन जैसे VIP मेहमान आए। उनके मूवमेंट के कारण आम श्रद्धालुओं के लिए कई रास्ते बंद कर दिए गए। खास तौर पर कई पांटून ब्रिज बंद कर दिए। आम श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। भीड़ भरे मेला से गुजरकर संगम नोज तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इन वजहों से श्रद्धालुओं में काेफ्त था।

 

 

15 लाख श्रद्धालु, लेकिन सुरक्षा कर्मी सिर्फ 1000
घटनास्थल पर मौजूद श्रद्धालुओं का कहना है कि संगम नोज पर एंट्री और एग्जिट का अलग-अलग प्रबंध नहीं था। भगदड़ के दौरान लोग एक-दूसरे पर गिरते गए। मौके पर पुलिस बल की भी भारी कमी थी। 15 लाख श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मात्र 1000 सुरक्षाकर्मी तैनात थे। चश्मदीदों के मुताबिक, एंट्री और एग्जिट के रास्ते सही से नहीं बनाए गए थे। वहीं पहले से मौजूद पांटून ब्रीज को बंद कर दिया। यही वजह रही कि भगदड़ मचने के बाद लोगों को भागने की जगह तक नहीं मिली।

पहले से पता था मौनी अमावस्या पर उमड़ेगी भीड़
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब प्रशासन को पता था कि मौनी अमावस्या पर भारी भीड़ जुटने वाली है। ट्रेनों में भर-भर कर श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे थे। रेलवे की ओर से दनादन स्पेशल ट्रेनें चलाने का ऐलान किया जा रहा था। यूपी से सटे बिहार और एमपी के बॉर्डर से लाखों की तादाद में श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे थे। मीडिया में इसकी खबरें लगातार आ रही थी। इसके बावजूद प्रशासन ने मेला क्षेत्र में तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई गई?

 

 

संगम नोज के किनारे रेत पर सोए थे श्रद्धालु
मेला क्षेत्र में अलग-अलग संगठनों की ओर से श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था की गई है। कई टेंट कैंप लगाए गए हैं। श्रद्धालु कहां रुकेंगे इसके लिए सब प्लान पहले से तय था। इसके बावजूद मौनी अमावस्या से पहले संगम नोज के किनारे सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु सोए हुए थे। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर इन श्रद्धालुओं को यहां पर सोने की इजाजत कैसे दी गई। श्रद्धालुओं को वहां से समय रहते क्यों नहीं हटाया गया?

30 पांटून ब्रिज में से 21 को बंद रखा गया था
बता दें कि महाकुंभ क्षेत्र उमें कुल मिलाकर  30 पांटून ब्रिज बनाए गए हैं। हादसे वाली रात से एक दिन पहले यानी कि 27-28 जनवरी को इनमें से सिर्फ 3 ब्रिज चालू थे। जिस रात को हादसा हुआ उस दिन यानी कि 28 जनवरी को सिर्फ 7 पांटून ब्रिजों से आवाजाही की इजाजत दी जा रहर थी। मौनी अमावस्या वाले दिन भी इन 30 पुलों में से 21 को बंद रखा गया था। यही वजह रही कि भीड़ एक ही जगह पर ज्यादा जमा हो गई। संगम की ओर खड़े लोग अखाडों की ओर वापस लौटने की बजाया संगम नोज पर ही रुके रहे। जो लोग कुचले गए, उनमें से ज्यादातर यहीं सो रहे थे। सभी ब्रिज खुले होते तो भीड़ एक जगह जमा नहीं होती। लोग आसानी से दूसरी ओर चले गए होते।

 

 

कमिश्नर विजय विश्वास पंत के ऐलान के बाद मची भगदड़
कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने भगदड़ से कुछ घंटे पहले ही श्रद्धालुओं से संगम नोज खाली करने के लिए माइक पर घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, ‘जो सोएगा, वह खोएगा। अगर आप पहले आ गए हैं तो सोए मत रहिए। उठिए अमृत की धारा में स्नान करिए। यह मौका दोबारा नहीं मिलने वाला। दावा किया जा रहा है कि विश्वास ने माइक पर चीखते हुए यह भी कहा कि मेला में भगदड़ मचने की संभावना है। ऐसा बताया जा रहा है कि विजय विश्वास पंत के इस ऐलान के बाद श्रद्धालुओं ने बैरिकेड तोड़ दिए। सोए हुए लाेगों को कुचलते हुए आगे बढ़ने लगे।

अब तक क्या कार्रवाई हुई?
प्रशासन ने हादसे के बाद जांच के आदेश दे दिए हैं। संगम नोज पर भीड़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। वहीं, श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। ड्रोन और कैमरों से निगरानी की जा रही है। सरकार ने घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने का ऐलान किया है। हर एक मृतक के परिवार को 25 लाख रुपए देने की घोषणा की गई है। जो अफसर मौजूदा समय में मेले की देखरेख कर रहे थे, उन्हें दूसरी जगह भेज दिया गया है। अनुभवी अफसरों की तैनाती की गई है।

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