Lord Shiva Story: सर्दियों में केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाने के बाद कहां चले जाते हैं भगवान शिव?

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Lord Shiva Story: हर वर्ष दिवाली के बाद, भाई दूज के दिन केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस साल 3 नवंबर को भाई दूज है और इसी दिन केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद केदारेश्वर महादेव को डोली में बिठाकर उखीमठ ले जाया जाता है। सर्दियों में केदारनाथ महादेव की वहीं पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं ऐसा क्यों होता है?

उखीमठ की पौराणिक कथा

श्रीमद्भागवत में वर्णित कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध और बाणासुर की पुत्री उषा, एक दूसरे से प्रेम करते थे। यह बात जब बाणासुर को पता चला तो वह क्रोधित हो गया। क्रोध में उसने एक दिन श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को बंदी बना लिया। उसके बाद श्री कृष्ण अपने पौत्र को कैद से मुक्त कराने के लिए बाणासुर से युद्ध करने पहुंचे। बाणासुर और श्री कृष्ण में भयंकर युद्ध छिड़ गया। काफी देर तक जब भगवान श्री कृष्ण को बाणासुर युद्ध में परास्त नहीं कर सका तो, उसने भगवान शिव से युद्ध में सहायता मांगी। बाणासुर को भगवान शिव ने वचन दिया था कि वह उसकी रक्षा करेंगे।

श्री कृष्ण और शिवजी का युद्ध

बाणासुर के याद करते ही भगवान शिव युद्ध भूमि में पहुंच गए। उसके बाद श्री कृष्ण और भगवान शिव में भयानक युद्ध होने लगा। फिर कुछ समय बाद श्री कृष्ण ने भगवान शिव से युद्ध से चले जाने को कहा। श्री कृष्ण ने शिवजी से कहा, प्रभु आपने बाणासुर को वरदान दिया था कि वह मेरे हाथों ही परास्त होगा। परन्तु आप युद्ध से नहीं हटे तो यह कैसे संभव होगा? इसके बाद भगवान शिव वहां से चले गए। फिर श्री कृष्ण ने बाणासुर को युद्ध में परास्त कर दिया।

 

लेकिन जब श्री कृष्ण बाणासुर का वध करने लगे तो, भगवान शिव ने उन्हें रोक लिया और बाणासुर को जीवनदान देने को कहा। शिवजी के कहने पर श्री कृष्ण ने बाणासुर को जीवित छोड़ दिया। युद्ध में हारने के बाद बाणासुर ने अपनी पुत्री का विवाह, श्री कृष्ण के पौत्र से कर दिया। पौराणिक काल में उस जगह को उषामठ कहा जाता था लेकिन आज यह उखीमठ के नाम से जाना जाता है।

उखीमठ को पंचकेदार में मुख्य माना जाता है। इसलिए सर्दियों में केदारनाथ महादेव उखीमठ में विराजते हैं। केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ महादेव को डोली में बिठाकर उखीमठ लाया जाता है। केदारनाथ मंदिर हिमालय पर्वत श्रृंखला क्षेत्र में स्थित है। भाई दूज के बाद से शीतकाल की शुरुआत हो जाती है और हिमालय क्षेत्र में बर्फ़बारी भी शुरू हो जाती है। आने-जाने वाले सारे रास्ते बर्फ़बारी के कारण बंद हो जाते हैं। बर्फ़बारी के कारण हिमालय क्षेत्र में रहना मुश्किल हो जाता है। इसलिए भाई दूज के बाद केदारनाथ मंदिर के कपाट बन कर दिए जाते हैं।

 

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