आज सावन का पहला सोमवार, शिव भक्तों की उमड़ी भारी भीड़; मंदिरों में गूंजे ‘हर हर महादेव’ के जयकारे।

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आज सावन का पहला सोमवार है. एक ऐसा पावन दिन जो ना सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित है, बल्कि भारत की संस्कृति, प्रकृति और जन-जन से गहराई से जुड़ा हुआ है. श्रावण मास के सोमवार न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और पर्यावरण दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. यह दिन भगवान शिव की आराधना को समर्पित होता है. शिव जी का प्रिय सोमवार का दिन बहुत खास माना जाता है. मान्यता है कि जो भक्त सावन के प्रत्येक सोमवार को श्रद्धा से व्रत रखकर भगवान शिव की विधिवत पूजा करता है, उसे जीवन की बड़ी-बड़ी बाधाओं से मुक्ति मिलती है. यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायक मानी जाती है जो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हों, जो विवाह में विलंब का सामना कर रहे हों, या जो आर्थिक तंगी या दरिद्रता से घिरे हों.

प्रातः काल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर पर ही शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं, या नजदीकी शिव मंदिर जाएं. शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से करें. शिवलिंग पर बेलपत्र, आक-धतूरा, सफेद फूल अर्पित करें. कम से कम 108 बार “ऊं नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें. व्रतधारी दिनभर फलाहार कर सकते हैं और शाम को शिव आरती करें. सायंकाल भगवान के मंत्रों का फिर जाप करें, तथा उनकी आरती करें. अगले दिन पहले अन्न वस्त्र का दान करें तब जाकर व्रत का पारायण करें. भगवान शिव की पूजा खासतौर से सोमवार को की जाती है. मान्यता है कि वैवाहिक जीवन के लिए शिव जी की पूजा सोमवार को करने से परेशानियां दूर होती हैं. कुंवारी कन्याएं इस व्रत को विशेष श्रद्धा से करती हैं ताकि उन्हें मनचाहा वर प्राप्त हो. यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा, रोग और दरिद्रता को दूर करने में सहायक माना जाता है. इसके अलावा स्वास्थ्य, संतान और आर्थिक समस्याएं भी दूर होती हैं. सावन के सोमवार को शिव जी की पूजा सर्वोत्तम होती है. इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है.

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