डीसीपी सफीन हसन ने धमकी मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि इस मामले में तत्काल कदम उठाए जा रहे हैं। ईमेल के जरिए गुजरात हाई कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। हालांकि, पुलिस ने धमकी के ईमेल के विशिष्ट कंटेंट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है।
हालांकि, धमकी झूठी हो सकती है, फिर भी पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेकर किसी भी तरह के नुकसान से बचने के लिए पूरी तरह से एक्टिव है। हाल के कुछ महीनों में स्कूल, अस्पताल, एयरपोर्ट्स समेत सार्वजनिक संस्थानों को इस तरह की धमकियां मिल रही हैं, जिससे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को अधिक सतर्क रहना पड़ रहा है।
बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट की स्थापना 1 मई 1960 को हुई थी, जब राज्य के निर्माण के साथ ही न्यायिक प्रणाली के लिए एक नए और प्रभावी कोर्ट की जरूरत महसूस की गई। इससे पहले, गुजरात के मामले बॉम्बे हाई कोर्ट के अधीन देखे जाते थे, क्योंकि तब तक गुजरात बॉम्बे प्रांत का हिस्सा था। गुजरात हाई कोर्ट का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214 के तहत किया गया था, जिसमें प्रत्येक राज्य में एक हाई कोर्ट की स्थापना का प्रावधान है। गुजरात हाई कोर्ट का मुख्यालय अहमदाबाद में स्थित है।
गुजरात हाई कोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर पाटील थे, जिन्होंने 1960 में न्यायालय की कार्यप्रणाली की शुरुआत की थी। वर्तमान में गुजरात हाई कोर्ट में एक प्रमुख मुख्य न्यायाधीश के साथ कई अन्य न्यायाधीश होते हैं, जो राज्य के विभिन्न मामलों पर सुनवाई करते हैं।