भारतीय टेस्ट टीम में एक समय नंबर-3 की पोजीशन पर अहम भूमिका निभाने वाले चेतेश्वर पुजारा पिछले काफी समय से स्क्वाड से बाहर चल रहे हैं। वहीं इसी बीच टीम इंडिया के पूर्व टेस्ट कप्तान रोहित शर्मा जिन्होंने पिछले ही महीने इस फॉर्मेट से अपने संन्यास का ऐलान किया था उन्होंने अब चेतेश्वर पुजारा से जुड़ा एक दिलचस्प किस्से का खुलासा किया है। पुजारा अपना विकेट बिल्कुल भी आसानी से विपक्षी टीम के गेंदबाजों को नहीं लेने देते हैं और इसी को लेकर रोहित ने अपने बयान में जूनियर क्रिकेट के दिनों के याद किया जब उनकी टीम की पूरी रणनीति चेतेश्वर पुजारा का विकेट लेने को लेकर ही बनाई जाती थी।
मैं कहता था, मां मैं क्या करूं
रोहित शर्मा ने 5 जून को चेतेश्वर पुजारा की पत्नी पूजा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर्स वाइफ’ के विमोचन के अवसर पर कहा कि मुझे अब भी याद है कि टीम मीटिंग सिर्फ इसी पर केंद्रित होती थी कि उसे कैसे आउट किया जाए और अगर हम उसे आउट नहीं कर पाते हैं तो हम मैच हार सकते हैं। पुजारा के खिलाफ खेलने से मेरा चेहरा इतना बदल जाता था कि उनकी मां भी थोड़ी परेशान हो जाती थी। मुझे बस इतना याद है कि जब मैं 14 साल का था और मैदान से शाम को जब वापस आता था, तो मेरे चेहरे का रंग बिल्कुल बदल जाता था। क्योंकि वह पूरे दिन बल्लेबाजी करता था और हमें दो-तीन दिन तक धूप में फील्डिंग करनी पड़ती थी। मुझे अब भी याद है कि मेरी मां ने मुझसे कई बार पूछा था कि जब तुम घर से खेलने जाते हो, तो तुम अलग दिखते हो और जब तुम एक हफ्ते या 10 दिन बाद घर आते हो, तो तुम अलग दिखते हो। मैं कहता था, मां मैं क्या करूं। चेतेश्वर पुजारा नाम का एक बल्लेबाज है जो तीन दिनों से बल्लेबाजी कर रहा है।
एसीएल होने के बाद 100 से अधिक टेस्ट खेलना बड़ी बात
चेतेश्वर पुजारा उन चुनिंदा भारतीय प्लेयर्स की लिस्ट में शामिल हैं जो 100 या उससे अधिक टेस्ट मैच खेलने में सफल रहे हैं। इसी को लेकर रोहित शर्मा ने अपने बयान में आगे कहा कि एसीएल यानी एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट की चोट के बावजूद 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलना काफी बड़ी बात है और इसका पूरा श्रेय चेतेश्वर पुजारा को जाता है। किसी भी खिलाड़ी के लिए दोनों एसीएल गंवाने के बाद खेलना आसान नहीं होता है। पुजारा के टेस्ट करियर को लेकर बात की जाए तो उसमें उन्होंने 60 के औसत से जहां 7195 रन बनाएं हैं तो वहीं 19 शतक और 35 अर्धशतकीय पारियां भी खेलने में कामयाब रहे हैं।