Holi 2025 के दिन दिखेगा ‘पूर्ण चंद्रग्रहण’ का अद्भूत दृश्य, जानें कब और कैसे दिखेगा नारंगी रंग का चांद

अगर आप खगोलीय घटना को देखना और उसके बारे में पढ़ना पसंद है तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी खास हो सकता है. इस आर्टिकल में हम आपको 13 और 14 मार्च 2025 को होने वाली एक अद्भूत खगोलीय घटना के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल, इस दौरान एक पूरा चंद्रग्रहण लगने वाला है, जो एक शानदार और रोमांचक दृश्य होगा. इतना ही नहीं, इस बार का चंद्रग्रहण ऐसे वक्त पर होने जा रहा है जब भारत देश में होली का त्योहार मनाया जाएगा. इसी कारण इस बार का चंद्रग्रहन (Total Lunar Eclipse) ज्यादा खास है. यह एक शानदार और रोमांचक दृश्य होगा. इस खास घटना को ब्लड मून (Blood Moon) भी कहते हैं. आइए हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
जब चांद ब्लड मून होगा तो उसका रंग लाल या नारंगी दिखाई देगा, जो दिखने में बेहद अद्भूत होता है. दरअसल, ब्लड मून उस टाइम पर कहा जाता है, जब चंद्रग्रहण अपने पूरे चरम पर होता है. ऐसा तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चांद बिल्कुल एक लाइन में आ जाते हैं. जब ऐसा होता है, तब पृथ्वी की परछाई चांद पर पड़ती है और सूर्य की ज्यादतर रोशनी चांद तक नहीं पहुंच पाती है, लेकिन फिर भी सूर्य की थोड़ी रोशनी पृथ्वी के वातावरण से होते हुए चांद तक पहुंचती है. पृथ्वी के वातावरण से गुरजने के दौरान सूर्य की रोशनी ब्लू लाइट को छान देती है, जिसके बाद सिर्फ लाल या नारंगी रंग की रोशनी ही चांद तक पहुंचती है. इस कारण चांद दिखने में लाल या नारंगी रंग का लगता है और इसे ही हम ब्लड मून कहते हैं.
चंद्रग्रहण के पांच फेज़
चंद्रग्रहण के कुछ पांच फेज़ होते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं.
पेन्यूम्ब्रल फेज़: इस फेज़ में चांद की रोशनी धीरे-धीरे फीकी पड़नी शुरू हो जाती है और चांद का एक हिस्सा अंधेरे में छिपने लगता है.
आशंकि फेज़: उसके बाद आंशिक फेज़ की शुरुआत होती है. इस फेज़ में चांद पृथ्वी के गहरे साये की तरह आगे बढ़ता है और कुछ देर के बाद चांद का एक हिस्सा अंधेरे में छिपने लगता है.
पूर्ण चंद्रग्रहन: जब चांद पूरी तरह से पृथ्वी के साये में आ जाता है तो चांद का रंग लाल या नारंगी कलर का हो जाता है. इसी समय चांद को ब्लड मून कहते हैं. यह दृश्य देखने में सबसे शानदार और मजेदार होता है.
फिर से आंशिक फेज़: पूर्ण चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद, एक बार फिर से चांद पर आंशिक ग्रहण दिखाई देना शुरू हो जाता है, क्योंकि चांद धीरे-धीरे परछाई से बाहर निकलने लगता है और उसका रंग हल्का शुरू होने लगता है.
फिर से पेन्यूम्ब्रल फेज़: दोबारा से आंशिक फेज़ खत्म होने के बाद एक बार फिर से पेन्यूम्ब्रल फेज़ की शुरुआत होती है, क्योंकि इस दौरान चांद पूरी तरह से पृथ्वी के बाहरी परछाई से भी बाहर निकल जाता है और सामान्य रूप से दिखने लगता है.
चंद्र ग्रहण का चरण | डिटेल |
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आंशिक छाया ग्रहण शुरू | चंद्रमा पृथ्वी की आंशिक छाया (पेनम्ब्रा) में प्रवेश करता है, जिससे हल्का सा धुंधलापन होता है. |
आंशिक ग्रहण शुरू | चंद्रमा पृथ्वी की मुख्य छाया (अम्ब्रा) में प्रवेश करना शुरू करता है, जिससे गहरा अंधेरा दिखने लगता है. |
पूर्ण ग्रहण शुरू | चंद्रमा पूरी तरह से अम्ब्रा में होता है और लाल दिखाई देता है. |
पूर्ण ग्रहण समाप्त | चंद्रमा अम्ब्रा से बाहर निकलना शुरू करता है, और लाल रंग फीका पड़ने लगता है. |
आंशिक ग्रहण समाप्त | चंद्रमा पूरी तरह से अम्ब्रा से बाहर निकलता है, और अंधेरा कम हो जाता है. |
आंशिक छाया ग्रहण समाप्त | चंद्रमा पेनम्ब्रा से बाहर निकलता है और अपनी सामान्य चमक में वापस आ जाता है. |
ब्लड मून का समय
ब्लड मून या पूर्ण चंद्रग्रहण की यह घटना 13-14 मार्च, 2025 को होगी और ये लगभग 6 घंटे तक दिखाई देगी. हालांकि, पूर्ण चंद्रग्रहण का समय सिर्फ 66 मिनट यानी करीब एक घंटे का होगा. इस दौरान चांद पूरा लाल हो जाएगा और उसे देखना काफी अद्भूत होगा. यह चंद्रग्रहण नॉर्थ और साउथ अमेरिका के कुछ हिस्सों में वेस्टर्न यूरोप, अफ्रीका और पेसिफिक क्षेत्र में दिखाई देगा. यानी ये सभी जगहों पर लोग इसे देख पाएंगे. ब्लड मून यानी पूर्ण चंद्रग्रहण की इस अद्भूत घटना को भारत में रहने वाले लोग नहीं देख पाएंगे, क्योंकि उस वक्त यहां दिन का वक्त हो रहा होगा और सूरज की रोशनी होगी. इस कारण यह घटना भारत में नहीं दिखाई देगी.