फर्जी GST बिलिंग घोटाले में 107 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोपियों को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। अदालत ने जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्हें फटकार भी लगाई है।

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पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 107 करोड़ के जीएसटी घोटाले में नामजद दो आरोपितों को नियमित जमानत देते हुए न केवल उनके पक्ष में राहत दी, बल्कि केंद्रीय जीएसटी विभाग, खुफिया निदेशालय और टैक्स विभागों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए।

जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जब अपराध की जांच पूरी हो चुकी हो, चार्जशीट दाखिल हो चुकी हो, और ट्रायल की शुरुआत तक महीनों का विलंब हो, तब केवल इस आधार पर कि किसी अन्य सह-आरोपित की जांच अभी लंबित है एक अभियुक्त को जेल में रखना न्यायोचित नहीं कहा जा सकता।

4838 करोड़ की निकासी का खुलासा

यह मामला वित्तीय खुफिया इकाई द्वारा सौंपी गई एक संदिग्ध लेन-देन रिपोर्ट से शुरू हुआ, जिसमें एक बैंक की अंबाला कैंट और पंचकूला शाखाओं से 4,938.63 करोड़ की निकासी का खुलासा हुआ। रिपोर्ट में अमित कुमार गोयल द्वारा 262.4 करोड़ और उनके भाई मनीष कुमार द्वारा 455.02 करोड़ की नकद निकासी का उल्लेख था।

जांच में यह भी सामने आया कि दोनों भाइयों ने 27 फर्जी फर्मों का निर्माण किया जिनमें से दो अमित कुमार के नाम पर थीं जबकि बाकी 25 फर्में उन व्यक्तियों के नाम से बनाई गई थीं जिनकी पहचान झूठे ढंग से हासिल की गई थी, परंतु मोबाइल नंबर और ईमेल अमित कुमार के थे।

अभी आरोप पूरी करने की प्रक्रिया नहीं हुई पूरी

याचिकाकर्तओं के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनको बिना वैध और समय पर नोटिस दिए गिरफ्तार किया गया। कोई भौतिक जांच या सत्यापन की रिपोर्ट याचिकाकर्ता को दी ही नहीं गई, जिससे उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं मिला।

याचिकाकर्ता 9 अक्टूबर 2024 से जेल में हैं, और अभी तक केवल आरोप तय करने की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई।

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