आतंकवाद को वैश्विक मुद्दे के रूप में देखा जाना चाहिए, द्विपक्षीय समस्या की तरह नहीं: जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि आतंकवाद को द्विपक्षीय समस्या के बजाय वैश्विक मुद्दे के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से जुड़ी कई घटनाओं का पाकिस्तान से ऐतिहासिक संबंध बताया। सोमवार को बेल्जियम में भारतीय समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों से उन्हें अवगत कराया। गत 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जयशंकर ने कहा कि बेल्जियम के अपने समकक्ष मैक्सिम प्रीवोट के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने 2016 के ब्रसेल्स हमले का जिक्र किया, ताकि यह बात स्पष्ट की जा सके कि आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, इसे ऐसे न देखें, क्योंकि अक्सर मीडिया, जो हमेशा पूर्वाग्रह से मुक्त नहीं होता है, इसे यह कहकर पेश करता है कि यह भारत-पाकिस्तान का मुद्दा है या यह कश्मीर के बारे में है। जयशंकर ने कहा, इस चुनौती की खास बात यह है कि अक्सर यह अलग-अलग देशों में होती है, आप जानते हैं, एक समूह ऐसा करता है ऐसा बहुत कम होता है कि कोई देश खुलेआम इसे राज्य की नीति के तौर पर इस्तेमाल करे। उन्होंने कहा कि यह ऐसी बात है, जिसे यूरोप के लोगों को समझना होगा, क्योंकि यह उनका अनुभव नहीं है। उन्होंने कहा, आतंकवाद यहां होता है, लेकिन कोई भी यूरोपीय देश या उनका कोई भी पड़ोसी देश आतंकवाद को अपने देश की घोषित नीति के तौर पर नहीं अपनाता और मैंने उन्हें यह समझाने में कुछ समय बिताया।

जयशंकर ने कहा, आतंकवाद जैसे मुद्दे पर संदेश यह है कि… इसे दो देशों के बीच का मुद्दा न समझें। मुझे नहीं लगता कि यह सिर्फ भारत की समस्या है। मेरा मतलब है, अगर आप पिछले 20-30 साल के आतंकवाद के इतिहास को देखें, तो इनमें से कई घटनाएं आखिरकार पाकिस्तान से जुड़ी होती हैं। उंगलियों के निशान, अन्य निशान, वहां से कोई आता है, आप यह सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद की चुनौती का सामना किया है। जयशंकर ने कहा, हम बेशक अटूट हैं, बल्कि हम उससे भी कहीं अधिक मजबूत हैं। हम बहुत दृढ़संकल्पित हैं और इस बार हम यह संदेश देना चाहते हैं कि अब बस बहुत हो गया। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके बाद भारत ने छह मई की देर रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचों पर सटीक हमले किए। भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक हुए सैन्य संघर्ष को, 10 मई को दोनों पक्षों के सैन्य अभियान महानिदेशकों के बीच वार्ता के बाद, रोकने के लिए सहमति बनी। जयशंकर ने अपने संबोधन के दौरान यह भी कहा कि भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने में यूरोप की ‘बहुत अधिक’ रुचि है। उन्होंने कहा, उन्हें एहसास है कि यूरोप की कई समस्याओं का समाधान यूरोप को ही करना है, उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना है, और इसलिए उन्हें और अधिक मित्रों की भी आवश्यकता है। उन्हें अन्य देशों के साथ मजबूत संबंधों की आवश्यकता है।

जयशंकर ने कहा, आप सभी अलग-अलग व्यवसायों, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हैं। जब विशेष रूप से बेल्जियम की बात आती है, तो हम देख सकते हैं कि बेल्जियम हमेशा से भारत का एक प्रमुख भागीदार रहा है। भारत और बेल्जियम के बीच संबंधों पर जयशंकर ने कहा, हमारे बीच हमेशा अच्छी राजनीतिक समझ रही है, क्योंकि यह भारत के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले शुरुआती देशों में से एक था। उन्होंने कहा, राजनीतिक रूप से, हमारे लिए चीजें हमेशा सहज रही हैं लेकिन अब हमारा प्रयास केवल हमारे पास जो है, उससे संतुष्ट होना नहीं है, बल्कि विभिन्न देशों के साथ अपने सहयोग को बढ़ाना है – विशेष रूप से, मैं कहूंगा, आर्थिक सहयोग, दोनों देशों की जनता के स्तर पर संपर्क और समुदाय की भलाई। इससे पहले, विदेश मंत्री ने अपने बेल्जियम दौरे की शुरुआत अपने समकक्ष के साथ बैठक से की, जिसमें व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, रक्षा और सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और गतिशीलता सहित द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। यूरोप की अपनी सप्ताह भर की यात्रा के दौरान जयशंकर द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने और आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की भारत की नीति की पुष्टि करने के लिए यूरोपीय संघ और फ्रांस के नेताओं के साथ भी बातचीत करेंगे।

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