हरियाणा में 370 भ्रष्ट पटवारियों पर लटकी तलवार: राजस्व मंत्री ने कार्यवाही के दिए आदेश, एसोसिएशन ने बुलाई मीटिंग

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हरियाणा सरकार ने 17 जनवरी यानी शुक्रवार को 370 भ्रष्ट पटवारियों की लिस्ट जारी की गई थी। इस मामले के खिलाफ राजस्व मंत्री विपुल गोयल ने सख्त कार्रवाई के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि कार्रवाई के लिए प्रदेश के DC और मंडलायुक्तों को भी निर्देश दे दिए गए हैं। तहसीलदारों पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा की  पटवार-कानूनगो एसोसिएशन सरकार की इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। एसोसिएशन के प्रधान ने इसे लेकर मीटिंग का ऐलान भी कर दिया है।
हरियाणा सरकार ने भ्रष्ट पटवारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। सरकार की तरफ से 370 भ्रष्ट पटवारियों के लिस्ट जारी की गई है। सरकार ने इस मामले में 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है। सरकार ने लिस्ट जारी करते हुए दावा कि है कि इन सभी पटवारियों ने पैमाइश, इंतकाल, रिकॉर्ड ठीक करने और नक्शा पास कराने के नाम पर भ्रष्टाचार किया है। इसके अलावा इनमें से 170 पटवारी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने असिस्टेंट रखे हैं। सरकार की रिपोर्ट में यह भी सामने आया था कि  कुछ पटवारियों ने निजी मकानों में ऑफिस खोल हुए हैं, जहां पटवारी अपने असिस्टेंट के जरिए लोगों से काम के बदले रिश्वत लेते हैं।

 

 

प्रदेश के राजस्व मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि, इस मामले में लगातार शिकायतें आ रही थीं, कि कुछ पटवारियों ने अपने असिस्टेंट रखे हुए हैं। इन असिस्टेंट के जरिये पटवारी लोगों से रिश्वत लेते हैं। ऐसे पटवारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। विपुल गोयल ने कहा कि अब तहसीलदारों पर भी नजर रखी जा रही है। एक-एक तहसीलदार की रिपोर्ट उनके पास आ रही है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों 3 तहसीलदारों को निलंबित किया गया है।

 

 

हरियाणा पटवार-कानूनगो एसोसिएशन के अध्यक्ष जयवीर चहल का कहना है कि वह भी करप्शन के खिलाफ हैं। लेकिन  खुफिया विभाग की रिपोर्ट के आधार पर सभी पटवारियों को भ्रष्ट कह देना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि एक-दो पटवारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाने से सभी पटवारियों को भ्रष्ट नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई संविधान और मानवता के खिलाफ हैं।  एसोसिएशन के अध्यक्ष इसे लेकर 20 जनवरी को बैठक करेंगे। मीटिंग में आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।

हरियाणा पटवार एसोसिएशन के अध्यक्ष बलबीर सिंह ने कहा, ‘मुझे नहीं पता सरकार ने कहां से ये आंकड़ा उठाया है। हो सकता है कि खुफिया विभाग की टीम ने ये आंकड़ा सरकार को दिया हो, हां ये भी जरूरी नहीं है कि ये रिपोर्ट ठीक ही हो’। ‘उन्होंने कहा कि 95% के साथ 5% को मिलाना ठीक नहीं है। अगर कोई गलत कर रहा है तो उसके खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। हम भी गलत के साथ नहीं हैं। हम भी नहीं चाहते हैं कि प्रदेश में भ्रष्टाचार हो।’पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी को तभी भ्रष्ट घोषित किया जाता है,जब उसके खिलाफ कोर्ट में आरोप साबित हो गया है। एडवोकेट ने यह भी कहा कि, जब किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ करप्शन का आरोप लगा हो तो, जांच पूरी किए बिना उनके नाम पब्लिक करना ठीक नहीं है। आरटीआई कानून के तहत भी लंबित भ्रष्टाचार में कर्मचारियों और अधिकारियों की जानकारी पब्लिक नहीं की जाती है।

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