श्रीमद् भागवत कथा में राजा परीक्षित के जन्मदिन पर कथावाचक योगी हितेश्वरनाथ ने निष्कपट धर्म की महिमा पर दिया ज्ञान

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लोकहित सेवा समिति द्वारा महिला संकीर्तन मंडली ढकोली के सहयोग से श्री शिव मन्दिर रेलवे फाटक ढकोली में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन राजा परीक्षित के जन्मदिन से शुरुआत करते हुए वृंदावन धाम से पधारे कथावाचक श्री श्री 1008 योगी हितेश्वरनाथ मिश्रा महामंडलेश्वर ने निष्कपट धर्म एवं कपटपूर्ण धर्म की व्याख्या करते हुए बताया कि जिस कार्य को या किसी सेवा को छल कपट के साथ किया जाए तो कार्य कभी सफल नही होता और जिस कार्य को निष्कपट धर्म के भाव से किया जाए तब वह कार्य प्रभु की सेवा सफल होता और गोविंद भक्त की निष्कपट से प्रसन्न होते हैं एवं कुंती मैया ने गोविंद से दुख मांगा क्यूंकि कुंती मैया कहती गोविंद सुख आता है, तो हम आप को भूल जाते हैं और दुख होता तो हम आपको याद करते हैं मुझे वो सुख नहीं चाहिए जिसमे आपकी विरह न हो आपकी याद न हो इसलिए गोविंद मुझे तो दुख ही दीजिए तुलसीदास जी कहते है भगवान तो आनंद सुखराशी है,

 

इसलिए भगवान दुख नहीं भक्त को सुख ही देते हैं। समिति की प्रवक्ता अलका शर्मा ने बताया है कि आज यजमान बनकर रश्मि तथा अजीत कुमार, भावना चौधरी एवम् संजीव चौधरी ने पूजा अर्चना करवाई। भागवत कथा सुनकर उपस्थित महिलाएं एवम् पुरूष भाव विहार हो गए। कथावाचक योगी हितेश्वरनाथ मिश्रा के धार्मिक भजनों पर उपस्थित जनसमूह ने जमकर डांस किया। आज कथा का समापन सुखदेव भगवान के आगमन के साथ हुआ। कथा को कामयाब बनाने में अलका शर्मा, किरण मल्होत्रा, सीमा माथुर, अशोक जिंदल, नवीन मनचंदा, सतीश भारद्वाज, जनकराज शर्मा, विजय कुमार, भावना चौधरी, संजीव चौधरी तथा रश्मि का विशेष योगदान रहा।

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