गृह मंत्री अमित शाह ने मेयर हरप्रीत बबला की बातें सुनने के बाद गहरी चिंता व्यक्त की। साथ ही नगर निगम की वित्तीय स्थिति पर चंडीगढ़ प्रशासन से रिपोर्ट भी मांग ली है। गृह मंत्री शाह ने कहा कि वह निजी तौर पर इस मामले में चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से बात करेंगे। 

मेयर बबला ने प्रशासन के अधिकारियों को भी गृह मंत्री के सामने कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि अधिकारी प्रशासक को गुमराह कर रहे हैं। हालत सुधारने में सहयोग करने की बजाए मामले को उलझाए हुए हैं। 

मेयर हरप्रीत कौर बबला के साथ इस मीटिंग में उनके पति एवं भाजपा के उपाध्यक्ष दविंदर सिंह बबला भी मौजूद रहे। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अतिरिक्त 200 करोड़ और आगामी वित्त वर्ष में ग्रांट मासिक की जगह त्रैमासिक रखने की डिमांड रखी। 

रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू भी रहे साथ

मेयर हरप्रीत कौर बबला की इस मुलाकात के दौरान रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू भी उनके साथ रहे। रवनीत बिट्टू ने गृह मंत्री अमित शाह को बताया कि बबला परिवार से उनके पारिवारिक संबंध हैं। बिट्टू ने भी चंडीगढ़ निगम की खराब स्थिति पर गृह मंत्री से संज्ञान लेने का आग्रह किया। 

चौथे दिल्ली फाइनेंस कमीशन की सिफारिश पर मांगे विभाग और ग्रांट

मेयर ने गृह मंत्री से चौथे दिल्ली फाइनेंस कमीशन की सिफारिशों के अनुसार फंड जारी करने की मांग रखी। जब तक चौथे कमीशन का समाधान नहीं होता, तब तक तीसरे डीएफसी की सिफारिशों के आधार पर एक अंतरिम समाधान लागू करने का भी अनुरोध किया। 

बबला ने बताया कि चौथे डीएफसी की रिपोर्ट वर्ष 2014 में अपनाई गई थी, बावजूद इसके चंडीगढ़ प्रशासन और गृह मंत्रालय ने इसे अब तक लागू नहीं किया। इस कारण नगर निगम को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। 

2024-25 में 560 करोड़ रुपये की ग्रांट से रुके काम

सड़क मरम्मत: निगम चंडीगढ़ में दो हजार किमी. सड़कों का प्रबंधन करता है और हर साल 270 किमी सड़कों की मरम्मत और निर्माण करता है। सड़क नहीं बन रही । 

सुंदरता और पार्क : 1800 नेबरहुड पार्क, 100 से अधिक बड़े पार्क और 1.75 लाख पेड़ों का रखरखाव करता है। 

स्वच्छता और कचरा प्रबंधन : पूरे शहर में सफाई, कचरा संग्रहण, प्रसंस्करण और बोसहारा जानवरों पर नियंत्रण की जिम्मेदारी भी निगम की है। 

स्ट्रीट लाइट  प्रमुख सड़कों पर स्ट्रीट लाइट की मरम्मत और रखरखाव का पूरा खर्च भी निगम वहन करता है। 

राजस्व संकट: निगम की आय मुख्य रूप से संपत्ति कर और पानी के बिलों से होती है, लेकिन सरकारी विभाग करोड़ों के डिफॉल्टर हैं। 

गृह मंत्री से चौथे डीएफसी के तहत मांगा हक

वैट और स्थानीय एक्साइज ड्यूटी का 30 प्रतिशत 

मोटर व्हीकल टैक्स और पंजीकरण शुल्क का 100 प्रतिशत 

वस्तुओं की बिक्री, खरीद या कंसाइनमेंट पर कर का 25 प्रतिशत 

सेवा कर संग्रहण और स्टांप ड्यूटी का 100 प्रतिशत