कृषि एवं कल्याण विभाग के अनुसार पराली जलाने के मामलों में अभी तक 175 किसानों की रेड एंट्री दर्ज की गई है। 188 किसानों पर पुलिस केस दर्ज कराए गए हैं। 9.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है जिसमें से 7,05,000 रुपये की रिकवरी की जा चुकी है। अभी तक 118 नोडल अधिकारियों व सुपरवाइजरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
भिवानी का एक्यूआई 345, चरखीदादरी का 349, फतेहाबाद का 340, जींद का 333, सोनीपत का 347, गुरुग्राम का 300, फरीदाबाद का 288, धारूहेड़ा का 299, अंबाला का 242, हिसार का 255, कैथल का 255, कुरुक्षेत्र का 252, मानेसर का 246, नारनौल का 203, पानीपत का 249 व यमुनानगर का 248 रहा।
चंडीगढ़ पीजीआई में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल ने बताया कि हरियाणा में प्रदूषण के बने रहने के मुख्य चार कारण हैं – तापमान में गिरावट, हवा की कम गति, स्थानीय प्रदूषण व आगजनी की घटनाएं । कई जिलों में ज्यादा प्रदूषण के कारण वहां का स्थानीय प्रदूषण और प्रदूषण मापने वाले मशीन का लोकेशन भी है।
जींद में अभी तक 78 किसानों पर केस दर्ज हो चुके हैं जिनमें से 32 गिरफ्तार किए गए। इन किसानों से कुल 3.20 लाख रुपये जुर्माना व 78 की जमीन रेड एंट्री में दर्ज की गई। जींद के एसपी कुलदीप सिंह ने बताया कि पुलिस बल को पराली प्रोटेक्शन फोर्स के साथ तैनात किया गया है। अगर अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ काेई विवाद होता है तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करेगी।
डबवाली के गांव मांगेआना में एक किसान ने कृषि विभाग के एचकेआरएन के तहत लगे सुपरवाइजर रविन कुमार पर पराली को आग लगाने की एवज में 18 हजार रुपये रिश्वत लेने की शिकायत दी थी। इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारियों की जांच के बाद उप निदेशक कृषि विभाग ने कर्मचारी को हटाने के आदेश जारी किए हैं। सुपरवाइजर रविन कुमार ने किसान को फोन करके कहा था कि उनके खेत में पराली में आग लगी है जिसका जुर्माना 30 हजार रुपये व सजा है। उसने इसके बदले 20 हजार रुपये मांगे। 18 हजार लेकर मामला रफा-दफा कर दिया।