मंथन’ द्वारा बसंत पंचमी पर काव्य गोष्ठी

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‘मंथन’ द्वारा बसंत पंचमी पर काव्य गोष्ठी

 

(दिनांक 02 फरवरी, 2025) साहित्यिक संस्था ‘मंथन’, चण्डीगढ़ द्वारा आज बसंत पंचमी के पावन अवसर पर एक विशेष काव्य गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार चमन शर्मा चमन की अध्यक्षता में सैक्टर 78, मोहाली में सम्पन्न हुआ, जिसमें मुख्यातिथि के तौर पर सुप्रसिद्ध गजलकार सरदारी लाल धवन कमल ने मंच की शोभा बढ़ाई। मंच संचालन हास्य-कवि दीपक खेतरपाल ने किया।

 

काव्य-गोष्ठी का शुभारम्भ हिमाचल से पधारे कवि वीरेन्द्र शर्मा वीर के बसंती गीत ‘चार चुफिरदिया दिक्खा हरियाली छाई/बेल बूटे फुल्ल बोल्लण बसंत ऋतु आई’ से हुआ। तत्पश्चात उर्मिला कौशिक सखी ने ‘सखी सुन बसंत धुन सुन/मत कर कुण कुण/बसंती कलियां चुन’, चमन शर्मा चमन ने ‘इस तरह जी बहाल कर रखना/दिल को दिल में संभाल कर रखना’, दीपक खेतरपाल ने ‘हुए वो रिटायर तो चढ़ गया सिर पर उनके भूत समाज सेवा का’, सुशील हसरत नरेलवी ने ‘मुफ्त सुविधाएँ निकम्मा करती हैं इंसान को/मुफ्तखोरी ले न डूबे मेरे हिन्दुस्तान को’, सरदारी लाल धवन कमल ने ‘तिरा खयाल निकलता नहीं मेरे दिल से/उठे न जैसे कोई रिन्द मय की महफिल से’, हिमाचल से कवि कमल भारती ने ‘मैं वो लम्हा ढूँढ़ता हूँ जिसे में गुजार सकूँ’, अंशुकर महेष पल्लव ने ‘खिलता नहीं है हुस्न बिना इश्क के छुए/आ जा तुझे मैं छू के मुकम्मल शबाब कर दूँ], दर्शन सिँह ने ‘अब से पड़ौसियों की नजर से देखेगी पुलिस’, अश्वनी भीम ने चला लेती है माँ सिलाई मशीन बहुत खूबी से/उसी खूबी से निभा लेती है रिश्ते भी’, सर्वेश ने ‘न मिलते वो मुझसे न ये हाल होता’ सुनाकर समा बाँधा व खूब वाहवाही लूटी।

अध्यक्ष महोदय जनाब चमन शर्मा चमन ने हरेक कवि की रचना पर अपने उद्गार व्यक्त किये और कहा कि मंथन जैसी साहित्यिक संस्थाओं की गोष्ठियाँ साहित्य संवर्धन एवं रचनाधर्मिता में अनुपम योगदान दे रही हैं। अन्त में, डा. सुशील हसरत नरेलवी ने सभी साहित्यकारों का आभार प्रकट किया।

 

डा. सुशील हसरत नरेलवी

अध्यक्ष ‘मंथन’ (अवैतनिक)

मो0: 9216501966

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