PM Narendra Modi : विरासत को आगे बढ़ाएं और अतीत से सीखें…’ पीएम मोदी ने बताई अमृत काल में हमारी जिम्मेदारी

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पीएम नरेंद्र मोदी आज सागर  के बड़तूमा में 100 करोड़ की लागत से संत रविदास के भव्य मंदिर और विशाल स्मारक का भूमि पूजन किया. इसके बाद पीएम मोदी ने एक मेगा रैली को संबोधित करते हुए कहा कि वह इस मंदिर और स्मारक के लोकार्पण के लिए जरूर आएंगे.

पीएम मोदी ने सागर में संत रविदास मंदिर का शिलान्यास करने के बाद जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं बनारस से सांसद हूं, जहां संत रविदास की जन्मस्थली है और यहां सागर में संत रविदास के स्मारक और मंदिर का शिलान्यास करके बेहद खुश हूं. आज शिलान्यास किया है, डेढ़- दो साल बाद लोकार्पण करने भी आऊंगा. संत रविदास जी मुझे अगली बार यहां आने का मौका देने ही वाले हैं. सागर की इस धरती से पूज्य संत रविदास जी को नमन करता हूं.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘जब हमारी आस्थाओं पर हमले हो रहे थे, हमारी पहचान मिटाने के लिए पाबंदियां लगाई जा रही थीं, तब रविदास जी ने मुगलों के कालखंड में कहा था- ‘पराधीनता सबसे बड़ा पाप है. जो पराधीनता को स्वीकार कर लेता है, जो लड़ता नहीं है, उससे कोई प्रेम नहीं करता. मैं आपको बताना चाहता हूं- देश आज गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल रहा है.’

पीएम मोदी ने इसके साथ ही कहा, ”कोरोना के दौर में गरीबों को हुई तकलीफ समझता हूं. उस दौर में पूरी दुनिया की व्यवस्थाएं चरमरा गई थीं. गरीब-दलित के लिए हर को आशंका जता रहा था, कहा जा रहा था कि 100 साल बाद इतनी आपदा आई है. मैंने कहा था कि किसी को भी खाली पेट सोने नहीं दूंगा. मैं भली-भांति जानता हूं कि भूखे रहने की तकलीफ क्या होती है. गरीब का स्वाभिमान क्या होता है. हमनें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना शुरू की और देश के 80 करोड़ लोगों को निःशुल्क खाद्यान्न देकर जनकल्याण का काम किया.’

पीएम मोदी ने इसके साथ ही कहा, ‘मैं भी आपके परिवार का सदस्य हूं. हमारे प्रयासों की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है. देश में गरीब कल्याण की जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, उनका लाभ दलित-आदिवासी-पिछड़े समाज को हो रहा है. पहले योजनाएं चुनावी मौसम के हिसाब से आती थीं. कोई भी दलित, वंचित बिना घर के ना रहे, इसके लिए प्रधानमंत्री आवास भी दिए जा रहे हैं. जल-बिजली कनेक्शन भी मुफ्त दिया गया है. आज एससी-एसटी समाज के लोग खुद अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं.’

पीएम मोदी ने इस दौरान संत रविदास के दोहे के जरिये अमृत काल में लोगों की जिम्मेदारी की याद दिलाई. उन्होंने कहा, ‘रविदास जी ने अपने दोहे में कहा- ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिलै सबन को अन्न, छोट बड़ों सब से, रैदास रहें प्रसन्न. आजादी के अमृतकाल में हम देश को गरीबी-भूख से मुक्त करने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं. अमृत काल में हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी विरासत को आगे बढ़ाएं और अतीत से सीखें…’

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