G7 में आतंकवाद पर पीएम मोदी का सख्त रुख, कहा-“Terrorism को बढ़ावा और समर्थन देने वालों को चुकानी होगी कीमत”

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ अपना कड़ा रुख जाहिर किया है। पीएम मोदी ने जी 7 के नेताओं से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई को तेज करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को ‘‘बढ़ावा एवं समर्थन’’ देने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत का विजन की पुष्टि करते हुए अक्रामता पेश किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा में ‘जी7 संपर्क सत्र’ में मंगलवार को अपने संबोधन के दौरान कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए हमारी सोच और नीति स्पष्ट होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के समर्थक देशों को भी इसकी कीमत चुकानी होगी।’’ मोदी ने कहा, ‘‘एक तरफ हम अपनी प्राथमिकता के आधार पर हर तरह के प्रतिबंध लगाने में जल्दबाजी करते हैं। दूसरी तरफ, जो देश खुले तौर पर आतंकवाद का समर्थन करते हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाता है।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को दोहराया और पहलगाम में हुए भयावह आतंकवादी हमले की निंदा करने के लिए नेताओं को धन्यवाद दिया।

पीएम मोदी ने बिना किसी देश का नाम लिए अमेरिका और चीन को सख्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कई देश आतंकवाद को खुलेतौर पर आतंकवाद को समर्थन करते हैं। वह आतंकवादियों के सागिर्दों को पुरस्कार भी देते हैं। पीएम मोदी के इस बयान को हाल ही में आतंकियों को हमदर्द पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर की अमेरिका यात्रा से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें ट्रंप ने मुनीर को अपने आर्मी परेड डे के बाद लंच के लिए भी आमंत्रण दिया है। जबकि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे। इसमें पाकिस्तान का हाथ था। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया।

प्रधानमंत्री ने जी7 में अपने संबोधन के दौरान ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं और प्राथमिकताओं पर ध्यान दिए जाने का भी आह्वान किया।  उन्होंने कहा कि भारत ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को वैश्विक मंच पर पहुंचाना अपनी जिम्मेदारी समझता है। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों के संदर्भ में किया जाता है। मोदी ने कहा, ‘‘उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य, स्वीकार्यता के मूलभूत सिद्धांतों पर आगे बढ़ते हुए भारत ने समावेशी विकास का मार्ग चुना है।’’ उन्होंने एक स्थायी एवं हरित मार्ग के माध्यम से सभी के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और इस उद्देश्य की दिशा में भारत की वैश्विक पहलों जैसे कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के बारे में विस्तार से बताया।

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘‘एआई (कृत्रिम मेधा) अपने आप में एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसके लिए बहुत ऊर्जा की आवश्यकता है। अगर प्रौद्योगिकी-संचालित समाज की ऊर्जा आवश्यकताओं को स्थायी रूप से पूरा करने का कोई तरीका है तो वह नवीनीकृत ऊर्जा के माध्यम से ही है।’’ उन्होंने कहा कि पिछली सदी में ऊर्जा के लिए प्रतिस्पर्धा थी, लेकिन इस सदी में ‘‘हमें प्रौद्योगिकी के लिए सहयोग करना होगा।’’ मोदी ने प्रौद्योगिकी के उपयोग को लोकतांत्रिक बनाने में भारत के अनुभव और इसे लागू करने के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला।

तस्वीर या वीडियो में किसी व्यक्ति के चेहरे या शरीर को डिजिटल रूप से बदलने की प्रौद्योगिकी को ‘डीपफेक’ कहते हैं। ‘मशीन लर्निंग’ और एआई से बने ये वीडियो और तस्वीरें असली जैसी नजर आती हैं और कोई भी व्यक्ति इन्हें देखकर धोखा खा सकता है। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने जी-7 देशों के नेताओं के साथ प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर ‘‘सार्थक’’ विचार-विमर्श किया तथा ग्रह को बेहतर बनाने को लेकर आकांक्षाएं साझा कीं। मोदी ने सात देशों के समूह के नेताओं और कनैनिस्किस में जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नेताओं के साथ एक तस्वीर ‘एक्स’ पर साझा की। उन्होंने लिखा, ‘‘वैश्विक प्रगति के लिए एक साथ! प्रमुख वैश्विक चुनौतियों और बेहतर ग्रह के लिए साझा आकांक्षाओं पर जी7 नेताओं के साथ सार्थक विचार विमर्श हुआ।

‘ग्रुप ऑफ सेवन’ (जी-7) दुनिया की सात उन्नत अर्थव्यवस्थाओं – फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा तथा यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक समूह है। इसके सदस्य वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हर साल जी-7 शिखर सम्मेलन में मिलते हैं। भारत बतौर आमंत्रित सदस्य इस सम्मेलन में पिछले कई वर्षों से हिस्सा लेता आ रहा है।

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