PM मोदी ने किया Z-Morh टनल का उद्घाटन: 2700 करोड़ की लागत से हुई है तैयार, जानें इसकी खासियतें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार(13 जनवरी ) को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में स्थित जेड मोड़ टनल का उद्घाटन किया। यह टनल समुद्र तल से 8652 फीट की ऊंचाई पर बनी है। टनल श्रीनगर को सोनमर्ग और लद्दाख से हर मौसम में जोड़ने में मददगार साबित होगी। इस टनल की लंबाई 6.4 किलोमीटर है। यह डबल लेन टनल श्रीनगर-लेह हाईवे (NH-1) पर स्थित है। टनल बनने से बर्फबारी की वजह से छह महीने तक बंद रहने वाला यह रुट अब सालभर चालू रहेगा। आइए, जानते हैं क्यों खास है टनल और इसके बनने से क्या होने वाला है फायदा।
इस टनल के शुरू होने से श्रीनगर और सोनमर्ग के बीच सफर का समय एक घंटे से घटकर मात्र 15 मिनट रह जाएगा। इस रूट पर गाड़ियों की रफ्तार 30 किमी प्रति घंटा से बढ़कर 70 किमी प्रति घंटा तक पहुंच जाएगी। दुर्गम पहाड़ियों वाले इस इलाके में जहां पहले 3-4 घंटे लगते थे, अब यह दूरी महज 45 मिनट में तय की जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट काे 2700 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है।
यह टनल जहां एक ओर टूरिज्म के लिहाज से फायदा होगा वहीं, देश की सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद अहम होगी। बर्फबारी के समय सेना का रसद और सामान एयरफोर्स की बजाय अब सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकेगा। टनल बनने से लद्दाख और कारगिल तक पहुंचने में सेना को कम समय और लागत लगेगी। साथ ही सोनमर्ग को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में डेवलप करने में मदद मिलेगी।
जेड मोड़ टनल को NATM (New Austrian Tunneling Method) तकनीक से बनाया गया है। इस प्रक्रिया में टनल की खुदाई और वॉल निर्माण एक साथ होता है, जिससे पहाड़ दरकने का खतरा नहीं रहता। इस तकनीक से टनल के आसपास के इलाके की मिट्टी और जलवायु का भी अध्ययन किया जाता है। इससे पहाड़ की स्थिरता सुनिश्चित होती है।
जेड मोड़ टनल के बाद जोजिला टनल का निर्माण 2028 तक पूरा होगा। इसके तैयार होने के बाद बालटाल, कारगिल और लद्दाख तक ऑल वेदर कनेक्टिविटी संभव होगी। दोनों टनल की कुल लंबाई 12 किलोमीटर होगी और यह एशिया की सबसे लंबी टनल बन जाएगी। फिलहाल हिमाचल प्रदेश की अटल टनल एशिया की सबसे लंबी टनल है।
टनल प्रोजेक्ट के तहत क्षेत्र में सुरक्षा को भी मजबूत किया गया है। पीएम मोदी के दौरे के दौरान घाटी में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई गई। संवेदनशील इलाकों में शार्पशूटर्स तैनात किए गए हैं और ड्रोन से निगरानी की जा रही है। इस प्रोजेक्ट को क्षेत्रीय विकास और सेना के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है।