भारत के ऑपरेशन सिंदूर से बुरी तरह तबाह हुआ पाकिस्तान अब अपने बचने की जुगत में लग गया है। इस कड़ी में पाकिस्तान अब सऊदी अरब से रणनीतिक साझेदारी करने जा रहा है। पाकिस्तान की ओर से दावा किया गया है कि दोनों देशों में इस पर सहमति भी बन गई है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सऊदी अरब यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई है।
पाकिस्तान को क्यों पड़ी इसकी जरूरत
भारत के ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पुरी तरह पिट चुका है। अब उसे अपनी गिरेबां बचाने के लिए ऐसे साझेदारों की जरूरत है, जो उसे संकट के समय मदद कर सकें या भारत के साथ कम से कम मध्यस्थता करा सकें। पाकिस्तान जानता है कि सऊदी अरब और भारत के बीच अच्छे संबंध हैं। ऐसे में वह भी अब सऊदी के साथ रणनीतिक साझेदारी के जरिये अपने संबंधों को और अधिक मजबूत करना चाहता है। ताकि संकट के समय सऊदी उसका साथ दे सके।
रणनीतिक साझेदारी पर कहां तक पहुंचा मामला
समाचार पत्र The Express Tribune के अनुसार पाक प्रधानमंत्री शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को गहराने की पुष्टि की। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि यह निर्णय दोनों देशों के नेतृत्व और जनता की “साझा आकांक्षाओं और दृष्टिकोण” पर आधारित है। शरीफ के साथ विदेश मंत्री इशाक डार, फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर और गृह मंत्री सैयद मोहसिन नकवी सहित एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी था।
किन मुद्दों पर हुई बात
कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं ने गाज़ा में मानवीय संकट पर भी इस दौरान चर्चा की और क्षेत्रीय व वैश्विक स्थिरता के लिए सऊदी अरब की भूमिका की सराहना की। शरीफ ने हालिया भारत-पाक तनाव के दौरान सऊदी अरब की “सक्रिय और संतुलित भूमिका” की भी सराहना की। शरीफ ने पाकिस्तान-सऊदी अरब के बीच बढ़ते राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग पर संतोष जताया और रिश्तों को “गहरे, रणनीतिक और भाईचारे से भरा” बताया।