पापांकुशा एकादशी कब है, इस दिन क्‍यों नहीं देते तुलसी को जल, जानें महत्‍व, पूजाविधि और शुभ मुहूर्त

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पापांकुशा एकादशी इस बार 13 अक्‍टूबर को है। इस दिन लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और विधिपूर्वक व्रत रखते हैं। सनातन धर्म में सभी एकादशियों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय आश्विन महीना चल रहा है। इस महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन भगवाव विष्‍णु को सबसे प्रिय तुलसी भी उनके लिए व्रत करती हैं। यही वजह है कि इस दिन तुलसी को जल नहीं दिया जाता है। कहते हैं कि इस दिन तुलसी को जल देने से उनका व्रत खंडित हो जाता है, इसलिए पापांकुशा एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं देना चाहिए। इस दिन भगवान विष्‍णु को तुलसी दल अर्पित करने से वह बेहद प्रसन्‍न होते हैं और मनचाहा फल देते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 अक्टूबर को है। इस दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 08 मिनट से शुरू होकर 14 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। व्रत का पारण 14 अक्‍टूबर को किया जाएगा।

पापांकुशा एकादशी का महत्‍व
मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ यज्ञ और हजार सूर्य यज्ञ के बराबर फल मिलता है। इस व्रत को रखने वाले को 1000 अश्वमेघ यज्ञ और 1000 सूर्य यज्ञ के समान फल प्राप्‍त होते हैं। इससे साधक के जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहती है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ रूप की पूजा का विधान है। भक्तों को इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और पीले वस्त्र धारण करके पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मनवांछित फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पापांकुशा एकादशी पर क्‍या करें क्‍या न करें
पापांकुशा एकादशी के दिन तुलसी पूजा के कुछ ख़ास नियम हैं। मान्यता है कि इस दिन माता तुलसी, भगवान विष्णु के लिए व्रत रखती हैं। इसलिए इस दिन तुलसी में ना तो जल चढ़ाना चाहिए और ना ही दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से माता तुलसी के व्रत में बाधा आ सकती है।
एकादशी के दिन तुलसी माता की पूजा से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। इस दिन तुलसी माता को सुहाग की चीजें चढ़ाने और 11 परिक्रमा करने का विधान है। ऐसा करने से जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं। मान्यता है कि सुहाग का सामान चढ़ाने से और परिक्रमा करने से तुलसी माता प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं। इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

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