हाई कोर्ट से मिल चुके आदेश, अब चंडीगढ़ में नहीं चलेगी क्लब और डिस्को वालों की मनमानी

चंडीगढ़ में अब क्लब और डिस्को मालिकों की मनमानी नहीं चलेगी। नियमों का उल्लंघन कर लोगों के लिए परेशानी बने क्लबों पर हाई कोर्ट कार्रवाई के आदेश दे चुका है। ऐसे में प्रशासन ने शिकंजा कस दिया है। छह से ज्यादा क्लब सील किए जा चुके हैं। आने वाले दिनों में कुछ और क्लबों पर कार्रवाई की जाएगी जिन्हें वायलेशन के नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
शहर में सबसे ज्यादा क्लब मध्य मार्ग पर ही है। सोमवार को भी संपदा विभाग ने सेक्टर-7 के दो क्लब सील किया है जो कि मशहूर क्लब थे जिनका सांता और ब्रियू इस्टेट क्लब था। यह शहर का अहम क्लब है जहां पर युवाओं में जाने का सबसे ज्यादा क्रेज होता है।वीकेंड पर यहां पर काफी भीड़ रहती है।
इससे पहले पिछले माह प्रशासन ने सेक्टर-7 के लाउंज बार क्लब को सील किया था। बताया गया है कि इस परिसर में भवन संबंधी उल्लंघन पाए गए थे, जिनके चलते यह सख्त कदम उठाया गया। अधिकारियों के अनुसार, उक्त स्थल पर नियमों की अवहेलना कर निर्माण किया गया था, जो कि प्रशासन की संपदा नीति के विरुद्ध था।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में क्लब संचालक केस हार चुके हैं। शोरूमों के पिछली तरफ मंजूरी के बिना बरामदों में क्लब और बार बने हुए हैं। बिना मंजूरी के खुले क्लबों और बार को आबकारी एवं कराधान विभाग एक्साइज का लाइसेंस भी जारी करता है।
पिछले कार्यकाल में तत्कालीन सांसद के नेतृत्व में गठित कमेटी ने भी इन्हें नियमित करने की सिफारिश की थी लेकिन इसकी सिफारिशों को नहीं माना गया है। हाई कोर्ट क्लबों और बार के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए प्रशासन को कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
इससे पहले संपदा विभाग ने हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद काकुना क्लब को बिल्डिंग वायलेशन के कारण सील किया था। प्रशासन ने क्लबों का सर्वे भी शुरू कर दिया है।इस कार्रवाई से क्लब संचालक सकते में आ गए हैं।
प्रशासन के अनुसार सेक्टर 7 और 26 में शोरूम मालिकों ने बैंक कोर्टयार्ड में क्लब पब और बार शुरू कर दिए है। नियमों के अनुसार बैक कोर्टयार्ड पर सिर्फ गोदाम बनाया जा सकता है। उसका कमर्शियल एक्टिविटी के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट का भी मानना है कि शोरूमों के पिछले बरामदों को कवर नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट का भी मानना है कि शहर की योजना और विरासत नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
हेरिटेज कमेटी ने भी शोरूमों के बरामदें में किसी भी प्रकार की रिट्रैक्टेबल छत लगाने की अनुमति न देने का फैसला ले चुका है। इससे पहले प्रशासन हाई कोर्ट में दायर याचिका के कारण कार्रवाई नहीं कर पा रहा था लेकिन अब कोर्ट ने मामला निपटा दिया है जिससे कार्रवाई करने में बल मिल रहा है ।