चंडीगढ़ में कलेक्टर रेट बढ़ाने का विरोध, जानें पुराने और नए रेट में बड़ा अंतर

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 चंडीगढ़ में रिवाइज्ड कलेक्टर को लेकर व्यापारी, प्रॉपर्टी फेडरेशन, एसोसिएशन और आम आदमी, हर वर्ग विरोध कर रहा है. चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा प्रस्तावित कलेक्टर रेट का पुरजोर विरोध किया जा रहा है. चंडीगढ़-पंचकूला-मोहाली को एकसाथ ट्राईसिटी कहा जाता है लेकिन हरियाणा और पंजाब के अंतर्गत आने वाले पंचकूला और मोहाली में चंडीगढ़ के मुकाबले कलेक्टर रेट काफी कम है. यही कारण है कि यूटी प्रशासन द्वारा प्रस्तावित कलेक्टर रेट कहीं अधिक बढ़ाने पर शहरवासी कह रहे हैं कि अधिकारी लोकहित में कोई फैसला करने के बजाय अपनी मर्जी के फैसले को लोगों पर थोपने का काम कर रहे हैं.

चंडीगढ़ व्यापार मंडल ने जताया विरोध: हाल ही में चंडीगढ़ व्यापार मंडल के चुनाव हुए, जिसमें अध्यक्ष पद पर कारोबारी संजीव चड्ढा को चुना गया. ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ के तमाम व्यापारियों के प्रतिनिधि के रूप में आए संजीव चड्ढा से बात की तो उन्होंने भी यूटी प्रशासन द्वारा प्रस्तावित कलेक्टर रेट कहीं अधिक बढ़ाने के फैसले का विरोध किया. उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन को इस प्रकार का कोई भी फैसला लेना हो तो स्टेकहोल्डर के साथ बातचीत के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिए. संजीव चड्ढा ने कहा कि चंडीगढ़ सेक्टर 7, 8, 17, 26 और इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 व 2 में पहले ही कलेक्टर रेट काफी अधिक थे.

 

उन्होंने बताया कि वह निरंतर प्रशासनिक अधिकारियों से मिलते रहे हैं और उन्हें अवगत करवाते रहे हैं कि चंडीगढ़ में शोरूम की बाजारी कीमत के मुकाबले उसका कलेक्टर रेट कहीं अधिक होने के कारण ही संपत्ति बची नहीं जा पाती. लेकिन अब सेक्टर 7 व अन्य जगहों पर कलेक्टर रेट दोबारा इतने अधिक बढ़ाए जाने सही नहीं हैं. संजीव चड्ढा ने कहा कि वह जल्द ही प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर इस फैसले पर पुनर्विचार किए जाने की मांग करेंगे.

चंडीगढ़ प्रॉपर्टी फेडरेशन का भी कड़ा विरोध: चंडीगढ़ प्रॉपर्टी फेडरेशन ने भी यूटी प्रशासन के कलेक्टर रेट बढ़ाने के फैसले का कड़ा विरोध किया है. फेडरेशन के अध्यक्ष कमलजीत सिंह पंछी ने कहा कि चंडीगढ़ में पहले ही कलेक्टर रेट काफी अधिक है और अब इन्हें दोबारा इतना अधिक बढ़ाया सही नहीं. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ की संपत्ति कहीं अधिक महंगी होने के कारण ही शहर में अपना आशियाना बनाने के इच्छुक लोग पंजाब के विभिन्न हिस्सों जैसे- जीरकपुर, डेराबसी, बनूड़ व जिला पंचकूला में जाकर बस रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इतने अधिक रेट बढ़ने से चंडीगढ़ को काफी नुकसान होगा और यदि प्रशासन इस फैसले को वापस नहीं लेता तो पूरा शहर एकजुट होकर विरोध दर्ज कराएगा. कमलजीत सिंह पंछी ने चंडीगढ़ के प्रशासक एवं पंजाब के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया से इस मामले में हस्तक्षेप कर कलेक्टर रेट कहीं अधिक बढ़ाने के फैसले को वापस कराने की उम्मीद जताई है.

फेडरेशन ने इन बिंदुओं पर विचार करने को कहा: प्रॉपर्टी फेडरेशन चंडीगढ़ के अध्यक्ष कमलजीत सिंह पंछी और महासचिव अमित जैन ने चंडीगढ़ के डीसी कार्यालय को एक पत्र सौंपा है. इसमें शहर में कलेक्टर दरों के संबंध में यह सुझाव दिए हैं.

  • किफायती आवास पर प्रभाव: कलेक्टर दरों में वृद्धि से संपत्ति की कीमतें बढ़ती हैं, जिससे घर का स्वामित्व कम सुलभ हो जाएगा, खासकर पहली बार खरीदने वालों और निम्न व मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए.
  • कृषि क्षेत्र की चिंता: अधिक कलेक्टर दरों से कृषि समुदाय पर कराधान और वित्तीय तनाव बढ़ सकता है, जिससे संभावित रूप से उनकी आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है.
  • बाजार स्थिरता: संपत्ति के मूल्यांकन में अचानक वृद्धि से बाजार में अस्थिरता पैदा होती है, संभावित निवेशक हतोत्साहित हो सकते हैं और रियल एस्टेट लेनदेन धीमा हो सकता है.
  • पड़ोसी क्षेत्रों के साथ तुलना: यह आकलन करना महत्वपूर्ण है कि चंडीगढ़ रियल एस्टेट बाजार में प्रतिस्पर्धी बना रहे. यह सुनिश्चित करने के लिए पड़ोसी शहरों के साथ इन प्रस्तावित दरों की तुलना की जानी चाहिए.

चुनिंदा क्षेत्रों में वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए कलेक्टर दरों में कमी: फेडरेशन सेक्टर 7, 17, 22, 26 और 34 में वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए कलेक्टर दरों में कमी का प्रस्ताव करती है. वर्तमान में इन क्षेत्रों में संपत्ति की कीमतें मौजूदा कलेक्टर दरों से कम हैं, जो पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता का संकेत देती हैं. दरों में कमी से संपत्ति लेनदेन में आसानी होगी नहीं तो शहर पिछड़ सकता है. इससे स्टांप शुल्क संग्रह और संबंधित राजस्व में गिरावट को रोका जा सकेगा. प्रशासन से बाजार सर्वेक्षण करने और कलेक्टर दरों की समीक्षा करने का आग्रह करते हैं, ताकि उन्हें मौजूदा बाजार स्थितियों के अनुरूप बनाया जा सके.

कमलजीत सिंह पंछी ने कहा कि प्रशासन ने रिहायशी इलाकों में कलेक्टर दरों में लगभग चार गुना और व्यावसायिक क्षेत्रों में लगभग पांच गुना वृद्धि का प्रस्ताव रखा है. जबकि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा शेयर के हिसाब से रजिस्ट्री बंद करने से लोग पहले से ही परेशान हैं. उन्होंने प्रशासन से कलेक्टर दरों में वृद्धि पर पुनर्विचार करने और फैसले को वापस लेने का आग्रह किया.

चंडीगढ़ के इतिहास में पहली बार सबसे अधिक कलेक्टर रेट: चंडीगढ़ प्रॉपर्टी कंसलटेंट संगठन के महासचिव जितेंदर सिंह ने कहा कि यह पहला मौका है, जब चंडीगढ़ में कलेक्टर रेट इतने अधिक बढ़ाए गए हैं. उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन से पूछा कि सीधे तौर पर सवा सौ प्रतिशत कलेक्टर रेट कैसे बढ़ाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि आज तक चंडीगढ़ की संपत्ति का कलेक्टर रेट अब तक 78 हजार रुपये प्रति गज हुआ है लेकिन अब प्रशासन ने एक साथ यह रेट 1 लाख 78 हजार रुपये कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से जान पड़ता है कि यूटी प्रशासन पंचकूला और मोहाली को चंडीगढ़ से ऊपर ले जाने की मंशा रखता है.

यदि संपत्ति पर इतना अधिक कलेक्टर रेट होगा तो खरीदार चंडीगढ़ छोड़कर पंचकूला और मोहाली की तरफ जाने को विवश होंगे. जितेंदर सिंह ने कहा कि पंचकूला में एक कनाल के घर की रजिस्ट्री 4 करोड़ में होती है और मोहाली में ढाई करोड़ की लेकिन चंडीगढ़ में प्रस्तावित कलेक्टर रेट के अनुसार 9 करोड़ रुपये की रजिस्ट्री होने जा रही है. उन्होंने कहा कि यदि यूटी प्रशासन अपना फैसले वापस नहीं लेता तो आम लोगों समेत व्यापार मंडल, फासवेक, आरडब्ल्यूए व अन्य संस्थाओं के साथ विरोध दर्ज कराया जाएगा. उन्होंने पुराने कलेक्टर रेट और नए कलेक्टर रेट सामने रखते हुए उनमें होने वाला अंतर भी बताया.

सेक्टर 1 से 12 तक नए और पुराने कलेक्टर रेट:

  • नए रेट: 1,78,600 रुपये प्रति स्क्वायर यार्ड.
  • पुराने रेट: 78,250 प्रति स्क्वायर यार्ड.

नए रेट के अनुसार 500 स्क्वायर यार्ड की कीमत 8,93,00000 रुपए पुराने रेट के अनुसार 500 स्क्वायर यार्ड की कीमत 3,91,25,000 थी. कीमत में आने वाला संभावित अंतर 5,01,75,000 इसी प्रकार 350 स्क्वायर यार्ड, 250 स्क्वायर यार्ड, 200 स्क्वायर यार्ड और 125 स्क्वायर यार्ड के नए और पुराने रेट के अनुसार बड़ा अंतर आता है. इसी तरह सेक्टर 14 से सेक्टर 37 तक भी 500 स्क्वायर यार्ड से लेकर 100 स्क्वायर यार्ड तक और फिर सेक्टर 38 से अगले सेक्टरों में भी बड़ा अंतर देखने को मिला मिला है.

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