अब लगातार ये दूसरा पत्र है जिसमें अफसरों और कर्मचारियों के मोबाइल फन बंद आने से सरकार ने नाराजगी व्यक्त की है हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि पर्सोनल विभाग को इस प्रकार का पत्र जारी करना पड़ा हो। 

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 2017 में इसी तरह का आदेश पारित किया था। तब उन्होंने यह भी कहा था कि अफसरों और कर्मचारियों के मोबाइल के बिलों का भुगतान सरकार की ओर से किया जाता है । यह इसलिए किया जा रहा है कि वे 24 घंटे उपलब्ध रहें।
पूर्व शिअद-भाजपा सरकार ने 2011 में सरकारी कर्मचारियों के लिए फोन भत्ता शुरू किया था। वेतन आयोग की अनामलीस को दूर करने के लिए बनाई गई कमेटी की सिफारिशों पर यह भत्ता देना शुरू किया गया था हालांकि बाद में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खर्चों में कमी करने के इरादे से जब इस खर्च को आधा करना चाहा तो कर्मचारियों ने काफी विरोध किया लेकिन सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही। 

उस समय मोबाइल खर्च के रूप में सरकार को 101 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ता था। सरकार ने ग्रुप ए के कर्मचारियों का सेलफोन भत्ता 500 रुपये से घटाकर 250 रुपये प्रति माह कर दिया गया। ग्रुप बी के कर्मचारियों के लिए यह 300 रुपये से घटाकर 175 रुपये प्रति माह कर दिया गया। इसी तरह ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों के लिए यह 250 रुपये से घटाकर 150 रुपये प्रति माह कर दिया गया।