छुट्टी वाले दिन अफसर बंद कर देते हैं मोबाइल, पंजाब सरकार ने जताई नाराजगी; पत्र लिखकर दिया ये आदेश

उनके फोन या तो स्विच ऑफ होते हैं, फ्लाइट मोड में होते हैं, कवरेज क्षेत्र से बाहर होते हैं या यहां तक कि कॉल डायवर्जन पर होते हैं। प्रशासन से संबंधित कुछ कार्यों के लिए सरकार की तत्काल भागीदारी की आवश्यकता होती है।
जिसमें सभी संबंधितों को कहा गया था कि यह देखने में आ रहा है कि अधिकारी विधायकों को वह सम्मान नहीं देते जिसके वे हकदार हैं। पत्र में कहा गयाकि पहले भी कई बार आदेश जारी किया जा चुका है कि प्रोटोकाल में विधायक का दर्जा चीफ सेक्रेटरी से ऊपर है ऐसे में उन्हें सम्मान देना आवश्यक है।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 2017 में इसी तरह का आदेश पारित किया था। तब उन्होंने यह भी कहा था कि अफसरों और कर्मचारियों के मोबाइल के बिलों का भुगतान सरकार की ओर से किया जाता है । यह इसलिए किया जा रहा है कि वे 24 घंटे उपलब्ध रहें।
पूर्व शिअद-भाजपा सरकार ने 2011 में सरकारी कर्मचारियों के लिए फोन भत्ता शुरू किया था। वेतन आयोग की अनामलीस को दूर करने के लिए बनाई गई कमेटी की सिफारिशों पर यह भत्ता देना शुरू किया गया था हालांकि बाद में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खर्चों में कमी करने के इरादे से जब इस खर्च को आधा करना चाहा तो कर्मचारियों ने काफी विरोध किया लेकिन सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही।
उस समय मोबाइल खर्च के रूप में सरकार को 101 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ता था। सरकार ने ग्रुप ए के कर्मचारियों का सेलफोन भत्ता 500 रुपये से घटाकर 250 रुपये प्रति माह कर दिया गया। ग्रुप बी के कर्मचारियों के लिए यह 300 रुपये से घटाकर 175 रुपये प्रति माह कर दिया गया। इसी तरह ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों के लिए यह 250 रुपये से घटाकर 150 रुपये प्रति माह कर दिया गया।