निर्भया कांड के बाद भी यौन उत्पीड़न की घटनाएं कम नहीं होना शर्मनाक: शबाना आजमी

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अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के केवल कुछ ही मामलों में आक्रोश जाहिर नहीं किया जाना चाहिए बल्कि समाज को इस विकृति के मूल कारण पर काम करना चाहिए। अभिनेत्री ने कहा कि लोगों की पितृसत्तात्मक मानसिकता को खत्म करने की जरूरत है क्योंकि निर्भया कांड के बारह साल बाद भी यौन उत्पीड़न के मामलों में कमी नहीं आई है। अभिनेत्री आजमी संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के सहयोग से पुणे स्थित ग्रेविटास फाउंडेशन द्वारा ‘बच्चों के लिए एक सुरक्षित विश्व का निर्माण’ विषय पर आयोजित गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुई थीं। सम्मेलन में अभिनेत्री से कोलकाता में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार और उसकी हत्या तथा बदलापुर के एक स्कूल में चार साल की दो बच्चियों के कथित यौन उत्पीड़न की घटना के बारे में उनकी टिप्पणी मांगी गई थी।

उपरोक्त घटनाओं के बारे में आजमी ने कहा, आक्रोश तो होना ही चाहिए और सिर्फ आज नहीं, आक्रोश तो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था और गुस्सा केवल कुछ ही मामलों में जाहिर नहीं किया जाना चाहिए ये सभी घटनाएं बेहद खतरनाक हैं। उन्होंने कहा, अगर हम इन घटनाओं को चुनिंदा तरीके से देखते रहेंगे तो हम उनकी जड़ तक नहीं पहुंच पाएंगे। यह सब बहुत शर्मनाक है। दिल्ली में 2012 में एक फिजियोथेरेपी की इंटर्न के साथ हुए क्रूर सामूहिक बलात्कार का जिक्र करते हुए 73 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा कि पूरा देश उसके लिए न्याय की मांग करने के लिए एकजुट हुआ था और उसके बाद न्यायमूर्ति वर्मा समिति ने कई सिफारिशें कीं, लेकिन फिर भी घटनाएं कम नहीं हुई हैं। आजमी ने कहा, पितृसत्ता और महिलाओं को वस्तु समझने वाली सोच को खत्म करने की जरूरत है तथा यह सोचने की जरूरत है कि उनके भी समान अधिकार हैं। ऐसे मामलों में सख्त प्रोटोकॉल हैं और कुछ मामलों में मौत की सजा भी दी गई है लेकिन फिर भी घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। हमें इन घटनाओं के मूल कारण पर काम करने की जरूरत है। हमें न्यायमूर्ति वर्मा समिति द्वारा दी गई सिफारिशों पर काम करने की जरूरत है।

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