मंडी क्लाउडबर्स्ट: केदारनाथ त्रासदी की तर्ज पर लापता लोगों को मृत घोषित किया जाएगा, सरकार प्रभावितों को मुआवजा और आवश्यक सहायता प्रदान करेगी।

हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में 30 जून की रात सराज, धर्मपुर व करसोग में जो कुछ टूटा वे सिर्फ घर नहीं थे…रिश्ते, सपने और वर्षों की मेहनत थी। लहरों में जो बह गया वे सिर्फ जिस्म नहीं थे…किसी की मां थी, किसी का बेटा, किसी की उम्मीद थे। अब इन उजड़े परिवारों को इंसाफ के लिए वर्षों इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
उत्तराखंड की केदारनाथ त्रासदी की तर्ज पर हिमाचल में भी लापता लोगों को मृत मानते हुए स्वजन को मुआवजा दिया जाएगा। पुलिस रिपोर्ट आने के बाद लापता लोगों को मृत माना जाएगा। प्रदेश सरकार ने जिला प्रशासन को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं।
पुलिस से रिपोर्ट तलब
पुलिस से लापता लोगों की रिपोर्ट भी तलब की गई है। स्वजन को मृत्यु प्रमाणपत्र और मुआवजा राशि के लिए छह महीने से सात वर्ष तक की प्रतीक्षा नहीं करनी होगी। इस निर्णय से सराज और करसोग जैसे आपदा प्रभावित क्षेत्रों के उन परिवारों को राहत मिलेगी, जिनके अपने लहरों में खो गए, लेकिन जिनका दस्तावेजी अस्तित्व लापता के नाम पर अटका रह गया है।
पुनर्निर्माण की शुरुआत के लिए होगा सहारा
मृत घोषित होते ही स्वजन को चार-चार लाख रुपये की राहत राशि प्रदान की जाएगी। यह सहायता उस गहरे जख्म पर मरहम तो नहीं लगा सकती, लेकिन पुनर्निर्माण की शुरुआत का सहारा जरूर बन सकती है। आपदा से अब तक 19 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और कई लोग अभी लापता हैं। अब प्रशासन मृतकों की सूची को अंतिम रूप देकर, मुआवजा प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाएगा। पहले लापता लोगों के स्वजन को सात वर्ष बाद मुआवजा देने का प्रविधान था। केदारनाथ त्रासदी के बाद इस नियम में केंद्र सरकार ने बदलाव किया था।