शहर में आवारा कुत्तों के काटने की बढ़ीं घटनाएं, रेबीज के खतरे पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता

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 देश भर के शहरों और बाहरी इलाकों में आवारा कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं और रेबीज के फैलते खतरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। एक प्रमुख समाचार रिपोर्ट को आधार बनाते हुए शीर्ष अदालत ने इस मामले में स्वतः संज्ञान (suo moto cognisance) लिया है।

जस्टिस जे. पारडीवाला ने ‘सिटी हाउंडेड बाय स्ट्रेज़ एंड किड्स पे प्राइस’ (City hounded by strays and kids pay price) शीर्षक वाली रिपोर्ट को “बेहद चिंताजनक” करार दिया। रिपोर्ट में बताया गया है कि सैकड़ों की संख्या में कुत्तों के काटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे रेबीज का संक्रमण तेजी से फैल रहा है।

इस गंभीर स्थिति का सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है, जिनकी रेबीज से मौतें हो रही हैं। जस्टिस पारडीवाला ने इन मौतों को “डरावना और परेशान करने वाला” बताया।

मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि इस पूरे मामले को एक स्वतः संज्ञान याचिका के रूप में पंजीकृत किया जाए। साथ ही, संबंधित आदेश और समाचार रिपोर्ट को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

बता दें कि रेबीज एक गंभीर वायरल बीमारी है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों की लार से इंसानों में फैलती है। दुनिया भर में रेबीज के अधिकांश मानवीय मामलों के लिए संक्रमित कुत्ते जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, चमगादड़, लोमड़ी, रैकून, कोयोट और स्कंक जैसे जंगली जानवर भी रेबीज फैला सकते हैं। रेबीज के लक्षण आमतौर पर काटने के 2-3 महीने बाद दिखाई देते हैं, लेकिन यह 1 सप्ताह से 1 वर्ष या उससे भी अधिक समय तक भिन्न हो सकता है। शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं- बुखार, सिरदर्द दर्द।

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