हिन्दू पँचांग

🪷 *हिन्दू पँचांग* 🪷
*14 – 5 – 2025*
🪷 *विक्रम सम्वत~ 2082 (सिद्धार्थ)*
🪷 *दिन ~ बुधवार*
🪷 *अयन ~ उत्तरायण*
🪷 *द्रिक ऋतु ~ ग्रीष्म*
🪷 *कलयुग ~ 5125 साल*
🪷 *सूर्योदय~ 05:31* (*दिल्ली*)
🪷 *सूर्यास्त ~ 19:04*
🪷 *चन्द्रोदय ~ 20:57*
🪷 *चन्द्रास्त ~ 06:12*
🪷 *तिथि~ द्वितीया*
🪷 *नक्षत्र ~ ज्येष्ठा*
🪷 *चंद्र राशि ~ वृश्चिक*
🪷 *पक्ष ~ कृष्ण पक्ष*
🪷 *मास ~*
*वैशाख ~ अमांत*
*ज्येष्ठ ~ पूर्णिमांत*
🪷 *करण ~ 13:34*
*तैतिल~ 02:29 मई 15*
*गर ~ 09:14 तक*
🪷 *अभिजीत मुहुर्त ~*
*11:51 – 12:45*
🪷 *राहु काल ~*
*12:18 – 13:59*
🪷 *गण्डमूल ~*
*14- मई 21:47 से, 16- मई 16:07 तक*
🪷 *पंचक~*
*20- मई 7:35 से, 24- मई 13:48 तक*
🪷 *दिशा शूल ~ उत्तर*
🪷 *योग ~*
*शिव योग : शिव का अर्थ होता है शुभ। यह योग बहुत ही शुभदायक है। इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। इस योग में यदि प्रभु का नाम लिया जाए तो सफलता मिलती है।*
🪷 *यात्रा ~*
*बुधवार*
*तिल या उससे निर्मित पदार्थ या राई डाले हुए पदार्थ का सेवन करें।*
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*संक्रांति*
🪷 *संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान, व्रत, दान और सूर्य उपासना करने की विशेष परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन गंगा आदि तीर्थों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।*
🪷 *हिंदू पंचांग के अनुसार वृषभ संक्रांति का पर्व एक अत्यंत शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष को छोड़कर वृष राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य के इस गोचर को धार्मिक ग्रंथों में संक्रांति कहा गया है और जब यह गोचर वैशाख मास में होता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।*
🪷 *मान्यता है कि इस दिन गंगा आदि तीर्थों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। सूर्य को अर्घ्य देने से आयु, आरोग्य और तेज में वृद्धि होती है।*
🪷 *इस दिन बनने वाले शुभ योग व्रत और पूजा-पाठ को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। यही कारण है कि वृषभ संक्रांति को साल के विशेष पुण्य कालों में एक माना जाता है और इसे धर्म, आस्था और आध्यात्मिक जागरण का पर्व माना जाता है।*
🪷 *हिंदू पंचांग के अनुसार, 15 मई 2025 को सूर्य देव अपनी वर्तमान राशि मेष से निकलकर वृष राशि में प्रवेश करेंगे। यह गोचर रात 12 बजकर 11 मिनट पर होगा, जिसके साथ ही वृषभ संक्रांति का शुभ पर्व आरंभ हो जाएगा। सूर्य वृष राशि में 14 जून तक रहेंगे और 15 जून को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।*
🪷 *पुण्य काल: सुबह 05:57 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक*
🪷 *महा पुण्य काल: सुबह 05:30 बजे से 07:46 बजे तक*
🪷 *अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:50 बजे से 12:45 बजे तक।*
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*संक्रांति*
🪷 *संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान, व्रत, दान और सूर्य उपासना करने की विशेष परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन गंगा आदि तीर्थों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।*
🪷 *हिंदू पंचांग के अनुसार वृषभ संक्रांति का पर्व एक अत्यंत शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष को छोड़कर वृष राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य के इस गोचर को धार्मिक ग्रंथों में संक्रांति कहा गया है और जब यह गोचर वैशाख मास में होता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।*
🪷 *मान्यता है कि इस दिन गंगा आदि तीर्थों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। सूर्य को अर्घ्य देने से आयु, आरोग्य और तेज में वृद्धि होती है।*
🪷 *इस दिन बनने वाले शुभ योग व्रत और पूजा-पाठ को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। यही कारण है कि वृषभ संक्रांति को साल के विशेष पुण्य कालों में एक माना जाता है और इसे धर्म, आस्था और आध्यात्मिक जागरण का पर्व माना जाता है।*
🪷 *हिंदू पंचांग के अनुसार, 15 मई 2025 को सूर्य देव अपनी वर्तमान राशि मेष से निकलकर वृष राशि में प्रवेश करेंगे। यह गोचर रात 12 बजकर 11 मिनट पर होगा, जिसके साथ ही वृषभ संक्रांति का शुभ पर्व आरंभ हो जाएगा। सूर्य वृष राशि में 14 जून तक रहेंगे और 15 जून को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।*
🪷 *पुण्य काल: सुबह 05:57 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक*
🪷 *महा पुण्य काल: सुबह 05:30 बजे से 07:46 बजे तक*
🪷 *अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:50 बजे से 12:45 बजे तक।*
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