हरियाणा में सरकारी विभाग मनमाने ढंग से कर्मचारियों के बढ़ा रहे थे वेतन, अब वित्त विभाग ने लिया बड़ा एक्शन

पिछले साल तीन जून को भी इस संबंध में विस्तृत आदेश जारी किए गए थे, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला रहा। सभी विभागों को भेजे गए रिमाइंडर के अनुसार वित्त विभाग के संज्ञान में आया है कि अदालतों में विचाराधीन मामलों में प्रारंभ में याचिकाकर्ताओं की प्रार्थनाओं की प्रचलित नियमों के अनुसार जांच नहीं की जाती।
जब अवमानना याचिकाएं दायर की जाती हैं और न्यायालय संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करता है, तो विभागीय अधिकारी वित्त विभाग की पूर्व स्वीकृति के बिना अपने स्तर पर ही कर्मचारियों को अनुचित लाभ प्रदान कर रहे हैं। सुनवाई की तारीख से ठीक पहले फाइलें वित्त विभाग को प्रस्तुत की जा रही हैं, ताकि अवमानना कार्यवाही की मजबूरी के तहत वित्त विभाग को अपेक्षित लाभ देने के लिए मजबूर किया जा सके।
कुछ मामलों में प्रशासनिक विभाग अदालतों में यह शपथपत्र भी दे रहे हैं कि वे अपेक्षित लाभ देने के लिए तैयार हैं, लेकिन फाइल अनुमोदन के लिए वित्त विभाग में लंबित है। वह भी तब, जबकि संबंधित लाभ/मांग मौजूदा नियमों के अंतर्गत नहीं आती है।
इस स्थिति से बचने के लिए वित्त विभाग ने निर्देशित किया है कि कोई भी नया मामला न्यायालय में जाने या उच्च न्यायालय के निर्देश प्राप्त होने पर तत्काल त्वरित कार्रवाई की जाए। वित्तीय निहितार्थों से जुड़े सभी मामलों की जांच मौजूदा नियमों के आलोक में की जाएगी।