दुष्कर्म पीड़िता व उसकी मां की गवाही पांच सप्ताह टाली, ट्रायल जज को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में पीड़िता और उसकी मां की गवाही को करीब पांच सप्ताह के लिए टालने पर अमृतसर के ट्रायल कोर्ट जज को फटकार लगाई है।

हाईकोर्ट ने जज के इस स्पष्टीकरण को भी खारिज कर दिया कि आरोपी को वकील नियुक्त करने के लिए उचित समय देने के लिए सुनवाई स्थगित की गई थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्य अभियोजन पक्ष के गवाह की बहस के लिए पांच सप्ताह की लंबी अवधि के लिए स्थगित करने को उचित ठहराने के लिए स्पष्टीकरण में कोई ठोस कारण मौजूद नहीं है। इस तरह के गंभीर मामले में यह देरी न्यायिक कर्तव्य की उपेक्षा के बराबर है और न्याय के त्वरित प्रशासन पर खराब प्रभाव पड़ता है।

न्यायिक निर्णय के लिए उचित सोच, तर्क की स्पष्टता और केंद्रित विचार की आवश्यकता होती है। हाईकोर्ट ने कहा कि जज की जिम्मेदारी बहुत भारी होती है। जब किसी का जीवन और स्वतंत्रता उसके निर्णय पर निर्भर करती है तब कुछ भी संयोग, संदेह या अनुमान पर नहीं छोड़ा जा सकता। हाईकोर्ट ने जज को भविष्य में सावधान रहने की सलाह दी है।

दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है। 20 अगस्त को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अमृतसर के ट्रायल कोर्ट जज से स्पष्टीकरण मांगा था, जब कोर्ट को पता चला कि पीड़िता और उसकी मां से आरोपी के वकील की मौजूदगी के बिना पूछताछ की गई। साथ ही पता चला कि आरोपी के अनुरोध पर बहस स्थगित कर दी गई थी।

अपने स्पष्टीकरण में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील वास्तव में गवाहों की जांच के समय मौजूद थे। हालांकि, ट्रायल जज ने कहा कि जब उनसे बहस करने के लिए कहा गया तो बचाव पक्ष के वकील कोर्ट रूम से चले गए थे। आरोपी से गवाह से जिरह करने के लिए अपने वकील को बुलाने के लिए कहा गया था, लेकिन उसके वकील अदालत में उपस्थित नहीं हुए। अंत में आरोपी ने नए वकील को नियुक्त करने के लिए स्थगन का अनुरोध किया। ट्रायल जज ने कहा काम ज्यादा होने के कारण ये तथ्य आदेश में दर्ज नहीं किए जा सके। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को इस केस की स्टेटस रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।

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