दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं- पीड़ित महिलाएं डर में जीती हैं, समाज भी नहीं देता साथ

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 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि समाज पीड़ित महिलाओं का साथ नहीं देता, जिससे उनकी स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। हाल ही में कोलकाता के एक अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर की बलात्कार और हत्या की घटना और मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के चर्चित कलाकारों पर यौन उत्पीड़न के दर्जनों मामलों ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारे सामाजिक जीवन का दुखद पहलू है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि अपराधी अपराध करने के बाद भी बेखौफ घूमते रहते हैं। वहीं, जो लोग उनके अपराधों के शिकार होते हैं, वे खुद को अपराधी जैसा महसूस करते हैं और डर में जीते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की स्थिति तो और भी खराब है, क्योंकि समाज भी उन्हें अकेला छोड़ देता है। यह बात उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 75 साल पूरे होने पर आयोजित नेशनल ज्यूडिशियरी कांफ्रेंस के क्लोजिंग सेशन में कही।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायिक प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और सभी हितधारकों को मिलकर इन चुनौतियों को पार करना होगा। उन्होंने जोर दिया कि समय पर न्यायिक प्रशासन, बेहतर बुनियादी ढांचे, सुविधाओं, प्रशिक्षण और मानव संसाधन की उपलब्धता में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी इन सभी क्षेत्रों में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि सभी सुधार के आयामों में तेजी से प्रगति होनी चाहिए।

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि हाल के वर्षों में चयन समितियों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इस बढ़ोतरी के कारण चयन समितियों में महिलाओं की संख्या में 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है, जिससे महिलाओं की न्यायिक प्रणाली में भागीदारी बढ़ी है। इस कदम से ज्यूडिशियरी में महिलाओं की आवाज को और मजबूत किया जा सकता है।

राष्ट्रपति और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अदालतों में मामलों की लंबी देरी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि “तारीख पर तारीख” की संस्कृति को तोड़ने के लिए समाधान निकालना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी मामलों की पेंडेंसी को कम करने के लिए केस मैनेजमेंट के माध्यम से एक कार्य योजना तैयार करने की बात कही। इस दो दिवसीय सम्मेलन में 800 से अधिक न्यायिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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