‘हमारी फीस को लेकर पापा परेशान हैं, क्यों न पढ़ाई छोड़ दूं’, 7वीं की छात्रा के पत्र ने मचा दी खलबली

बता दें कि सात दिन पहले लिखे गए इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए बुधवार को शिक्षा विभाग, बाल कल्याण समिति, जिला मौलिक शिक्षा और जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम ने 60 फुट रोड और संजय एनक्लेव स्थित निजी स्कूल के दस्तावेज की जांच की। स्कूल की किताबें बेचने वाली दुकान को भी सील कर दिया गया। छात्रा ने विभाग को स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए पत्र लिखा था।
दरअसल, छात्रा के परिजन स्कूल की बढ़ी हुई फीस, किताबों के खर्च को लेकर काफी परेशान थे। यह परेशानी छात्रा को भी हो रही थी। अप्रैल में दाखिला शुरू होते ही शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों की शिकायतें भी मिलने लग गई हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, अभिभावकों की ओर से फीस बढ़ाने, प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें खरीदने के लिए दबाव बनाने, स्कूल से ही किताबें और वर्दी खरीदने और एनुअल चार्ज में बढ़ोतरी की शिकायतें मिल रही थीं।
विभाग की टीम ने स्कूलों को मान्यता, फार्म-6, स्कूल की बैंलेंस सीट और पढ़ाई जा रही एनसीइआरटी की किताबों सहित अन्य दस्तावेज बुधवार शाम तक जमा करने के आदेश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि दस्तावेज जमा नहीं करने पर स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
बुधवार को मौके पर पहुंची पुलिस ने निजी स्कूल में शिक्षा विभाग की टीम ने किताब की दुकान सील कर दी। अधिकारियों के मुताबिक, स्कूल इस तरह से दुकान नहीं चला सकते हैं। बता दें कि शुक्रवार को स्कूल के बाहर भारी संख्या में अभिभावकों ने विरोध प्रदर्शन किया था। स्कूल पर 25 फीसदी फीस बढ़ाने का भी आरोप है। सीलिंग की कार्रवाई से पहले बुधवार को सुबह कुछ अभिभावकों ने एकत्रित होकर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, ऐसे कई निजी स्कूलों की लिस्ट तैयार की गई है, जो फीस और किताबों के नाम पर मनमानी कर रहे हैं। बुधवार से स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। विभाग की ओर से यह कार्रवाई जारी रहेगी। अभिभावकों की शिकायतों को सुनने और कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग एक टीम भी बनाने की तैयारी कर रहा है। स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी को रोकने के लिए कार्रवाई जारी रहेगी।
स्कूलों के खिलाफ हुई कार्रवाई के संबंध में दोनों स्कूलों से फोन और मैसेज के माध्यम से संपर्क किया गया। लेकिन उन्होंने न तो फोन रिसीव किया और न ही ई-मेल का जवाब दिया। स्कूलों में कितनी अनियमिताएं हैं, यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा।