‘हेड ग्रंथी पद से भी हटाने की साजिश’, ज्ञानी रघबीर सिंह की SGPC के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर; कल होगी सुनवाई

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श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के पद से हटाकर श्री हरिमंदिर साहिब के हेड ग्रंथी बनाए गए ज्ञानी रघबीर सिंह ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में हाईकोर्ट को बताया है कि वह एसजीपीसी में चल रही खींचतान का शिकार हो रहे हैं।

उन्हें आशंका है कि एसजीपीसी उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना और उनका पक्ष जाने के बिना ही अब हेड ग्रंथी के पद से भी हटा सकती है। उन्होंने आग्रह किया है कि एसजीपीसी के अध्यक्ष, सचिव और प्रबंधक को उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की अनुचित या पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने से रोका जाए।
अब यह मामला हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए कल यानी एक जुलाई 2025 को सूचीबद्ध है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने याचिका में कहा है कि 2 दिसंबर 2024 को श्री अकाल तख्त साहिब से शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को बेअदबी के मामलों में नैतिक विफलता के आधार पर पार्टी नेतृत्व से हटाने का आदेश जारी किया गया था। 

इसके बाद पार्टी में पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसी आदेश से प्रभावित पक्षों को संतुष्ट करने के उद्देश्य से एसजीपीसी की ओर से मार्च 2025 में उनको जत्थेदार पद से हटाने के बाद श्री हरिमंदिर साहिब का हेड ग्रंथी नियुक्त किया। 

एसजीपीसी की ओर से उन्हें अब एक बार फिर निशाना बनाया जा रहा है और एसजीपीसी के कुछ गुट उन्हें जबरन पद से हटाने की कोशिश में लगे हैं। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह न केवल उनके वर्तमान पद की गरिमा की रक्षा करे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि उन्हें एसजीपीसी की आंतरिक राजनीति का शिकार न बनाया जाए। 

इसके बाद पार्टी में पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसी आदेश से प्रभावित पक्षों को संतुष्ट करने के उद्देश्य से एसजीपीसी की ओर से मार्च 2025 में उनको जत्थेदार पद से हटाने के बाद श्री हरिमंदिर साहिब का हेड ग्रंथी नियुक्त किया। 

एसजीपीसी की ओर से उन्हें अब एक बार फिर निशाना बनाया जा रहा है और एसजीपीसी के कुछ गुट उन्हें जबरन पद से हटाने की कोशिश में लगे हैं। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह न केवल उनके वर्तमान पद की गरिमा की रक्षा करे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि उन्हें एसजीपीसी की आंतरिक राजनीति का शिकार न बनाया जाए।

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