हिमाचल में कांग्रेस सरकार नहीं दे पाई वेतन और पेंशन, राज्य के इतिहास में पहली बार महीने की शुरुआत में नहीं आई सैलेरी
विधानसभा के मानसून सेशन में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को ऐलान किया था कि राज्य में आर्थिक संकट है और वे मंत्रियों सहित अपना दो महीने का वेतन डिले कर रहे हैं.
उसी समय ये अटकलें लगना शुरू हो गई थी कि सितंबर महीने में पहली तारीख को कर्मचारियों को भी वेतन नहीं मिलेगा साथ ही पेंशनर्स की पेंशन भी नहीं आएगी. ये अटकलें सच साबित हुई हैं.
पहली सितंबर को रविवार था तो उम्मीद थी कि सोमवार दो सितंबर को वेतन व पेंशन जारी हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राज्य के इतिहास में ये पहला मौका है, जब पहली तारीख को वेतन व पेंशन नहीं आई है.
राज्य के कर्मचारी दिन भर वेतन के मैसेज की बाट जोहते रहे. पेंशनर्स भी बार-बार अपना खाता अपडेट होने का इंतजार करते रहे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पांच बजे तक सभी को हल्की सी आस थी कि वेतन शायद आ जाए.
इस बीच, हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारियों का वेतन तो आ गया, लेकिन अन्य का नहीं. बिजली बोर्ड कर्मचारियों का वेतन इसलिए आया था कि राज्य सरकार से बोर्ड को पहले ही अनुदान रकम मिल चुकी थी. उसी रकम से वेतन जारी हो गया. इस दौरान दिन भर सोशल मीडिया पर वेतन व पेंशन को लेकर कई तरह की दिलचस्प पोस्टें तैरती रहीं. स्थानीय बोली में भी कई पोस्टें आईं. कुल मिलाकर राज्य की आर्थिक स्थिति दिन भर टॉक ऑफ दि टाउन रही.
खजाने में नहीं पैसा, अब राजस्व घाटा अनुदान पर नजर
सरकार के खजाने में वेतन व पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है. ट्रेजरी यानी कोषागार सिर्फ 750 करोड़ रुपये का ओवर ड्राफ्ट झेल सकता है. यानी सरकार की ओवर ट्राफ्ट लिमिट 750 करोड़ रुपये ही है. सरकार चाहे तो ट्रेजरी से सिर्फ 750 करोड़ रुपये ही ड्रॉ कर सकती हैय
साधारण शब्दों में कहें तो यदि सरकार के खजाने में एक भी रुपया न हो तो भी 750 करोड़ रुपए ड्रॉ हो सकते हैं. इससे अधिक ड्रॉ किए गए तो आरबीआई पेनल्टी लगा देगी. अब सरकार की उम्मीद केवल केंद्र से आने वाले रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट पर ही हैय
ये ग्रांट पांच सितंबर को आएगी तो बैंक में छह सितंबर को इसका इंपैक्ट आएगा. यानी अब वेतन की उम्मीद छह तारीख को ही है.
वेतन व पेंशन का खर्च 2000 करोड़ रुपये
हिमाचल में सरकार के कर्मचारियों के वेतन के लिए हर महीने दो हजार करोड़ रुपये की जरूरत है. इसमें से वेतन के लिए 1200 करोड़ और पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपये चाहिए. अब हालत ये है कि सरकार को यदि केंद्र से आपदा राहत के तौर पर कोई राशि आती है तो उसे भी वेतन व पेंशन की मद में डायवर्ट नहीं किया जा सकता. इस तरह से ये संकट गंभीर हो गया है.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना है कि कर्मचारी वेतन की राह देख रहे हैं. पेंशनर्स को पेंशन का इंतजार है. दो दिन से वेतन का इंतजार है. कर्मचारी एक-दूसरे को फोन कर पूछ रहे हैं कि वेतन आया या नहीं, मोबाइल पर मैसेज आया कि नहीं.
वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि राज्य में कोई आर्थिक संकट नहीं है. राज्य सरकार के सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार राकेश ने सोशल मीडिया पर लिखा “अपने पचास साल के इन्साइडर वाले अनुभव से लिख रहे हैं कि हिमाचल जैसे अथाह कुदरती संसाधनों वाले राज्य में यह स्थिति पहली बार आई है. ये आर्थिक संकट जितना दिखता है, उससे कहीं अधिक भयावह है”
वहीं, राज्य के स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर रहे डॉ. रमेश चंद ने भी सोशल मीडिया पर लिखा “सुबह आंख खुलने से पहले ही पहली तारीख को तनख्वाहें/पेंशन खाते में आ जाती थी…फिलहाल, अब सैलेरी के लिए पांच अथवा छह तारीख का इंतजार रहेगा”