वीर सैनिकों के सम्मान में चंडीगढ़ ने मनाया 77वां सशस्त्र सेना झंडा दिवस

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चंडीगढ़: देश की अस्मिता, सम्मान और सुरक्षा के प्रतीक 77वें सशस्त्र सेना झंडा दिवस का चंडीगढ़ में श्रद्धा, गर्व और राष्ट्रभक्ति के साथ आयोजन किया गया। हर वर्ष 7 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह दिवस न केवल वीर सैनिकों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि उनके कल्याण के लिए नागरिकों को योगदान के लिए प्रेरित भी करता है। इस दिन ध्वज बैज धारण करना, राष्ट्र की रक्षा में जुटे जवानों के प्रति कृतज्ञता और समर्थन का प्रतीक माना जाता है।  चंडीगढ़ में झंडा दिवस अभियान की शुरुआत पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को ध्वज बैज पहनाकर की गई। यह प्रतीकात्मक पिनिंग उपायुक्त-कम-जिला सैनिक बोर्ड अध्यक्ष  निशांत कुमार यादव द्वारा की गई।

इस अवसर पर कर्नल हरजीत सिंह घुमन (सेवानिवृत्त), जिला सैनिक कल्याण अधिकारी  हरबंस सिंह, तथा अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। वीर जवानों और उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदनशीलता व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने राज्यपाल कल्याण कोष से ₹1 लाख का योगदान दिया। उपायुक्त ने इस अवसर पर पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और आश्रितों के पुनर्वास एवं कल्याण के लिए प्रशासन द्वारा शुरू की गई नई योजनाओं और पहल की जानकारी साझा की। भारत की सशस्त्र सेनाएँ—थल सेना, वायु सेना और नौसेना—तीनों मोर्चों पर कठिनतम परिस्थितियों में राष्ट्र की सुरक्षा का दायित्व निभाती हैं।

शांति हो या तनाव, सीमाएं सुरक्षित हों या आंतरिक चुनौतियाँ—हमारे सैनिक हर परिस्थिति में अदम्य साहस और अनुशासन के साथ राष्ट्र का गौरव बढ़ाते हैं। कई बार आतंकवाद, दुश्मन गतिविधियों और असामाजिक तत्वों से लड़ते हुए जवान अपने प्राणों की आहुति दे देते हैं या स्थायी रूप से घायल हो जाते हैं। इनके अमूल्य बलिदान और योगदान की स्मृति में वर्ष 1948 से हर वर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई, जो आज एक राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन चुका है।

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