CBI ने किया सेना में भ्रष्टाचार का खुलासा, चहेते ठेकेदार को मिले काम, इसलिए सैन्य अधिकारियों ने तय किया कमीशन

सीबीआई जांच में सामने आया कि चंडीगढ़ की एक कंपनी एमके एजेंसिज के मालिक जेएस बेदी को बीकानेर यूनिट में 24.77 लाख रुपये का टेंडर मिला था, जिसमें से उसने 87 हजार रुपये अधिकारियों को रिश्वत के रूप में दिए थे। सीबीआई ने गुप्त सूचना के आधार पर ये केस दर्ज किया था। सीबीआई के मुताबिक अभी तो ये एक मामला पकड़ में आया है और यूनिट के अन्य कामों की टेंडर प्रक्रिया की भी जांच की जा रही है।
ये हैं आरोपित
- जतिंदर सिंह बेदी, मुख्य आरोपित, प्राइवेट कांट्रैक्टर
- उमाशंकर प्रसाद कुशवाहा, इंटिग्रेटेड फाइनेंशियल एडवाइजर, साउथ वेस्टर्न कमांड, जयपुर
- विजय नामा, जूनियर हिंदी ट्रांसलेटर, प्रिंसिपल कंट्रोलर आफ डिफेंस अकाउंट्स, जयपुर
- राजेंद्र सिंह, बिचौलिया
- संदीप सिंह राजपूत, बीकानेर यूनिट 365 में नायक
- देव कुमार वर्मा, हवलदार
- नंद लाल मीणा, सीनियर ऑडिटर, पीडीपीए ऑफिस, जयपुर
- मनोज कुमार बुरानिया, सीनियर आडिटर, एलएओ आफिस, जैसलमेर
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, सेना की बीकानेर यूनिट-365 में चंडीगढ़ की एमके एजेंसी को फ्लैप बैरियर और फुल हाई टर्नस्टाइल गेट्स व इनके साफ्टवेयर और हार्डवेयर बनाने का कांट्रैक्ट मिला।
आरोप है कि कंपनी ने विभिन्न बिचौलियों की मदद से आइएफए उमाशंकर प्रसाद कुशवाहा को रिश्वत दी और जेम पोर्टल के नियमों को दरकिनार करते हुए न सिर्फ टेंडर प्रक्रिया की अहम जानकारी लीक करवाई, बल्कि 24.77 लाख रुपये का टेंडर भी ले लिया। सेना के विभिन्न कार्यालयों ने भी बेदी की कंपनी की फाइल पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं लगाया।
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, सेना की बीकानेर यूनिट-365 में चंडीगढ़ की एमके एजेंसी को फ्लैप बैरियर और फुल हाई टर्नस्टाइल गेट्स व इनके साफ्टवेयर और हार्डवेयर बनाने का कांट्रैक्ट मिला।
आरोप है कि कंपनी ने विभिन्न बिचौलियों की मदद से आइएफए उमाशंकर प्रसाद कुशवाहा को रिश्वत दी और जेम पोर्टल के नियमों को दरकिनार करते हुए न सिर्फ टेंडर प्रक्रिया की अहम जानकारी लीक करवाई, बल्कि 24.77 लाख रुपये का टेंडर भी ले लिया। सेना के विभिन्न कार्यालयों ने भी बेदी की कंपनी की फाइल पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं लगाया।