सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा कि संभल हिंसा सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी जिसमें चार लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि इसके लिए सीधे तौर पर प्रशासन जिम्मेदार है। लोकसभा को में अखिलेश यादव ने जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग करते हुए इस मुद्दे पर संसद में विस्तृत चर्चा की मांग की।
अखिलेश यादव ने कहा कि संभल में जो घटना हुई वह एक सोची समझी साजिश है और संभल में भाईचारे को गोली मारी गई है। पूरे देश में खुदाई की बातें बीजेपी और उसके सहयोगी दल कर रहे हैं। यह देश का भाईचारा ख़त्म कर देंगे। सपा प्रमुख ने बिना नाम लिये यूपी सरकार पर भी निशाना साधा।
अखिलेश यादव ने कहा कि संभल कोर्ट में एक याचिका डाली गई। कोर्ट ने बिना दूसरे पक्ष को सुने बगैर सर्वे का आदेश दिया। इसके बाद संभल के डीएम और प्रशासन के लोग आदेश को पढ़े बगैर सर्वे कराने वहां पहुंच गए। संभल का माहौल का बिगाड़ने में याचिका दायर करने वालों के साथ पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है।
अखिलेश यादव ने कहा कि ये लड़ाई दिल्ली और लखनऊ की है। दिल्ली वाले जिस रास्ते से यहां पहुंचे हैं उसी रास्ते से लखनऊ वाले दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। सपा प्रमुख ने संभल हिंसा के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने 24 दिसंबर को एक घटना के दौरान उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पुलिस की बर्बरता का आरोप लगाया। राम गोपाल के अनुसार, स्थानीय लोगों को इसके उद्देश्य के बारे में बताए बिना सुबह से ही जिले में व्यापक पुलिस तैनाती की गई थी। राज्यसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), वकील और अन्य लोग ढोल-नगाड़ों के साथ एक मस्जिद में घुस गए, जिससे भीड़ में संदेह पैदा हो गया। उन्हें बर्बरता का डर था।
उन्होंने दावा किया कि अशांति तब शुरू हुई जब सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ने मस्जिद के अंदर पानी की टंकी खोली, जिससे संभावित छेड़छाड़ को लेकर स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई। कथित तौर पर अशांति हिंसा में बदल गई, जिसके दौरान पुलिस ने गोलियां चलाईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई मामले दर्ज किए गए, कई व्यक्तियों को जेल में डाल दिया गया और बंदियों को गंभीर रूप से पीटा गया।