क्या भ्रष्ट हैं 370 पटवारी? हाईकोर्ट पहुंचा मामला तो अदालन ने दे दिया ये आदेश, सरकार से जवाब तलब

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 हरियाणा सरकार द्वारा भ्रष्ट पटवारियों की सूची जारी करने के खिलाफ एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई। हाईकोर्ट के वकील साहिबजीत सिंह संधू द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि इस सूची के सार्वजनिक डोमेन में लीक होने के बाद विभिन्न मीडिया आउटलेट्स ने इसे बिना किसी सत्यापन के प्रकाशित किया।
आरोप है कि बिना किसी आधिकारिक जांच के व्यक्तियों को ‘भ्रष्ट’ बताना उनके अधिकारों का उल्लंघन है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इस पर सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के एक उप पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी को ‘भ्रष्ट’ पटवारियों की सूची सार्वजनिक डोमेन में लीक होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।
हालांकि, राज्य सरकार ने यह स्वीकार किया कि यह विभाग का सबसे गोपनीय दस्तावेज था। इस मामले में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी, ताकि उन 370 पटवारियों और 170 निजी व्यक्तियों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा की जा सके, जिनका नाम ‘भ्रष्ट पटवारी’ के रूप में एक सूची में प्रकाशित किया गया था। यह सूची 14 जनवरी को राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी की गई थी।
याचिका में कहा गया है कि यह सूची बिना जांच के और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए जारी की गई है, जिससे व्यक्तियों की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है और उनके परिवारों को मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा है।
याचिका में यह भी कहा गया कि विभाग ने बावजूद इसके कि सूची एक गोपनीय दस्तावेज था, इसके अवैध खुलासे को रोकने में विफलता दिखाई।
याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया कि वह इस सूची को तुरंत सार्वजनिक डोमेन से वापस लिया जाए और आगे इसकी कोई भी जानकारी प्रकाशित या प्रसारित न हो।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की कि इस लीक के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें जवाबदेह ठहराने के लिए एक स्वतंत्र जांच की जाए। याचिका में उन प्रमुख समाचार पत्रों जिन्होने इस सूची को प्रकाशित किया था और राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री को भी प्रतिवादी बनाया है।
याची पक्ष की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागु व जस्टिस सुमित गोयल की बेंच ने याचिकाकर्ता से भी पूछा कि उनका इस मामले में ‘लोकस स्टांडी’ (हित का अधिकार) क्या है, क्योंकि वे न तो पटवारी संघ से हैं और न ही सूची में उल्लिखित किसी प्रभावित व्यक्ति से हैं।कोर्ट ने मामले की सुनवाई 11 फरवरी तक स्थगित करते हुए समाचार पत्रों की वास्तविक कॉपी कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया।

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