राज्यपाल ने बजट और वित्तीय प्रबंधन पर विस्तार से बात करते हुए बताया कि प्रशासनिक प्रयासों से 125 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई और खर्चों में कटौती कर 30 से 50 करोड़ रुपये की बचत संभव हुई है। उन्होंने कहा कि बिना प्रयास के कोई परिणाम नहीं आता और महापौर प्रशासन तथा पूरी टीम ने मिलकर जो कार्य किया है वह सराहनीय है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि नगर निगम को आय बढ़ाने के नए स्रोत तलाशने होंगे लेकिन प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए।
गरीब बस्तियों की जरूरतों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर जोर देते हुए राज्यपाल ने कहा कि अभाव में रहने वाले परिवारों की न्यूनतम आवश्यकताओं को अगले बजट में सौ प्रतिशत पूरा किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि बुनियादी सुविधाओं की कमी बच्चों के भविष्य और समाज के विकास को प्रभावित करती है। इसलिए पानी बिजली सड़क शिक्षा और सामुदायिक सुविधाओं पर विशेष ध्यान देना होगा।
आवासीय मुद्दों पर बोलते हुए उन्होंने हाउसिंग बोर्ड की वायलेशन नोटिसों का जिक्र किया और कहा कि छोटे उल्लंघनों पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। लगभग 4200 मामलों में से बड़ी संख्या को बातचीत और सुधार के जरिए निपटाने का प्रयास किया जाएगा ताकि लोगों को रोजाना दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।
वन टाइम सेटलमेंट भूमि पूलिंग और लंबित वसूली जैसे विषयों पर भी राज्यपाल ने स्पष्ट संकेत दिए। उन्होंने कहा कि वर्षों से लंबित मामलों में केवल कागजी आंकड़े बढ़ाने के बजाय व्यावहारिक समाधान निकालना जरूरी है ताकि राजस्व भी मिले और विकास कार्यों में तेजी आए।
मनीमाजरा और 24×7 जल आपूर्ति योजना पर राज्यपाल ने कहा कि बिना जमीनी तैयारी के योजनाएं सफल नहीं होतीं। पाइपलाइन लीकेज अवैध कनेक्शन और जल अपव्यय को रोके बिना चौबीसों घंटे पानी देना संभव नहीं है। उन्होंने पानी की बचत और नियमों के सख्त पालन पर जोर दिया।
अपने संबोधन के अंत में राज्यपाल ने जन सुनवाई को प्रभावी बनाने नगर निगम पार्षदों और अधिकारियों से नियमित संवाद बनाए रखने और राजनीति से ऊपर उठकर शहर के विकास के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने लक्ष्य रखा कि एक साल में चंडीगढ़ को स्वच्छता हरित विकास और बुनियादी सुविधाओं के पैमाने पर देश में शीर्ष स्थान दिलाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएं।