चंडीगढ़ मेयर का कार्यकाल बढ़े: निगम की बैठक में बोले प्रशासक गुलाबचंद कटारिया, कहा-हम इसका प्रयास करेंगे

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चंडीगढ़ नगर निगम सदन की साल की आखिरी बैठक में प्रशासक गुलाब चंद कटारिया पहुंचे। कटारिया ने कहा कि चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल बढ़ना चाहिए। कम से कम 5 साल या 2.5 साल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे लेकर हम पूरा प्रयास करेंगे। यहां तक कि इसके लिये केंद्रीय गृह मंत्री से भी बात की जाएगी। उन्होंने कहा कि मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव के फायदे और नुकसान दोनों हैं।

यूटी प्रशासक के संबोधन के दौरान मेयर चुनाव का कार्यकाल पांच साल करने का मुद्दा सबसे अहम रहा। राज्यपाल ने कहा कि नेतृत्व कभी अकेले काम नहीं करता बल्कि मजबूत टीम और साझा जिम्मेदारी से ही परिणाम आते हैं। उन्होंने प्रत्यक्ष चुनाव की संभावनाओं पर भी संतुलित राय रखते हुए कहा कि जहां इससे स्थिरता मिलती है वहीं पार्षदों की भूमिका कमजोर होने का खतरा भी रहता है। इसी कारण मेयर के कार्यकाल को लेकर व्यापक चर्चा और सहमति जरूरी है ताकि नगर निगम लोकतांत्रिक रूप से मजबूत बने।

राज्यपाल ने बजट और वित्तीय प्रबंधन पर विस्तार से बात करते हुए बताया कि प्रशासनिक प्रयासों से 125 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई और खर्चों में कटौती कर 30 से 50 करोड़ रुपये की बचत संभव हुई है। उन्होंने कहा कि बिना प्रयास के कोई परिणाम नहीं आता और महापौर प्रशासन तथा पूरी टीम ने मिलकर जो कार्य किया है वह सराहनीय है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि नगर निगम को आय बढ़ाने के नए स्रोत तलाशने होंगे लेकिन प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए।

गरीब बस्तियों की जरूरतों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर जोर देते हुए राज्यपाल ने कहा कि अभाव में रहने वाले परिवारों की न्यूनतम आवश्यकताओं को अगले बजट में सौ प्रतिशत पूरा किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि बुनियादी सुविधाओं की कमी बच्चों के भविष्य और समाज के विकास को प्रभावित करती है। इसलिए पानी बिजली सड़क शिक्षा और सामुदायिक सुविधाओं पर विशेष ध्यान देना होगा।

आवासीय मुद्दों पर बोलते हुए उन्होंने हाउसिंग बोर्ड की वायलेशन नोटिसों का जिक्र किया और कहा कि छोटे उल्लंघनों पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। लगभग 4200 मामलों में से बड़ी संख्या को बातचीत और सुधार के जरिए निपटाने का प्रयास किया जाएगा ताकि लोगों को रोजाना दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।
वन टाइम सेटलमेंट भूमि पूलिंग और लंबित वसूली जैसे विषयों पर भी राज्यपाल ने स्पष्ट संकेत दिए। उन्होंने कहा कि वर्षों से लंबित मामलों में केवल कागजी आंकड़े बढ़ाने के बजाय व्यावहारिक समाधान निकालना जरूरी है ताकि राजस्व भी मिले और विकास कार्यों में तेजी आए।

मनीमाजरा और 24×7 जल आपूर्ति योजना पर राज्यपाल ने कहा कि बिना जमीनी तैयारी के योजनाएं सफल नहीं होतीं। पाइपलाइन लीकेज अवैध कनेक्शन और जल अपव्यय को रोके बिना चौबीसों घंटे पानी देना संभव नहीं है। उन्होंने पानी की बचत और नियमों के सख्त पालन पर जोर दिया।

अपने संबोधन के अंत में राज्यपाल ने जन सुनवाई को प्रभावी बनाने नगर निगम पार्षदों और अधिकारियों से नियमित संवाद बनाए रखने और राजनीति से ऊपर उठकर शहर के विकास के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने लक्ष्य रखा कि एक साल में चंडीगढ़ को स्वच्छता हरित विकास और बुनियादी सुविधाओं के पैमाने पर देश में शीर्ष स्थान दिलाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएं।

राज्यपाल ने नगर निगम के पार्षदों को आपसी तालमेल बढ़ाने के लिए सामूहिक पिकनिक आयोजित करने की सलाह दी ताकि सदन से बाहर खुलकर संवाद हो सके और आपसी दूरियां कम हों। उन्होंने कहा कि केवल बहिष्कार और टकराव से समाधान नहीं निकलता, अनौपचारिक बैठकों से बेहतर फैसले संभव होते हैं। विपक्ष की पार्षद करुणा मेहता की सक्रियता की खुलकर तारीफ करते हुए कटारिया ने कहा कि आलोचना यदि सुधार के उद्देश्य से हो तो वह लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।

जसवीर सिंह बंटी के मुद्दों को उठाने के तरीके की भी उन्होंने सराहना की और कहा कि तथ्यों के साथ बात रखना प्रशासन को बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करता है। स्ट्रीट वेंडर्स के मामले में राज्यपाल ने साफ कहा कि असली लाभ वास्तविक वेंडर को मिलना चाहिए, न कि उनके नाम पर अधिकार जमाने वाले गिरोहों को। उन्होंने निर्देश दिए कि हर वेंडर का फोटो और पहचान सत्यापन किया जाए ताकि किसी और के नाम पर कारोबार न चल सके।

मनीमाजरा की पूरी जमीन एक ही व्यक्ति या एजेंसी को देने के पक्ष में नहीं होने की बात स्पष्ट करते हुए कटारिया ने कहा कि इससे विकास में देरी और एकाधिकार का खतरा रहता है। प्रशासक ने कहा कि बड़े डेवलपर जमीन लेकर बैठ जाते हैं और विकास नहीं होता, जबकि जनता को तुरंत सुविधाएं चाहिए।

नगर निगम की 500 करोड़ रुपये की एफडी तोड़ने पर गहरी चिंता जताई और कहा कि यह दर्शाता है कि वित्तीय प्रबंधन में गंभीर चूक हुई है। उन्होंने कहा कि जनता के पैसे का उपयोग सोच-समझकर होना चाहिए, बिना तैयारी खर्च करना कर्तव्यहीनता है। राज्यपाल ने दो टूक कहा कि विकास का उद्देश्य केवल पैसा कमाना नहीं बल्कि जनता की रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान होना चाहिए।

सदन की बैठक में राज्यपाल की मौजूदगी के दौरान भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के एक एक पार्षद को अपनी बात रखने का अवसर दिया गया। भाजपा की ओर से मनोज सोनकर आम आदमी पार्टी की ओर से योगेश ढींगरा और कांग्रेस की ओर से सचिन गालव ने सदन में विचार रखे।

भाजपा पार्षद जहां सरकार और प्रशासन की तारीफ करते नजर आए वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने शहर की वास्तविक स्थिति और आम लोगों की परेशानियों को राज्यपाल के सामने रखा। विपक्षी पार्षदों ने गरीबों के अधिकार आवास जल आपूर्ति और गांवों से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।

कांग्रेस पार्षद सचिन गालव ने गरीबों के मालिकाना हक हाउसिंग बोर्ड के नोटिस 22 गांवों के लाल डोरा मनीमाजरा के 24 घंटे जल आपूर्ति प्रोजेक्ट और शेयर वाइस प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन जैसे अहम मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं का सीधा असर आम नागरिकों पर पड़ रहा है और इनका समाधान प्राथमिकता पर होना चाहिए। सचिन गालव ने प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली और मेयर का कार्यकाल पांच साल करने का सुझाव भी रखा। उन्होंने कहा कि इससे नगर निगम को स्थिर नेतृत्व मिलेगा और योजनाओं को धरातल पर उतारने में आसानी होगी।

पार्षदों की बातों के बाद राज्यपाल ने अपने संबोधन में उठाए गए सभी मुद्दों पर जवाब दिया। उन्होंने एक एक बिंदु पर बताया कि संबंधित मामलों में प्रशासन किस स्तर पर काम कर रहा है और आगे क्या कदम उठाए जाएंगे। मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव और कार्यकाल बढ़ाने के सुझाव पर राज्यपाल ने कहा कि प्रत्यक्ष चुनाव के फायदे और नुकसान दोनों हैं लेकिन मेयर का कार्यकाल बढ़ाने के विषय में वह गृह मंत्री से बातचीत जरूर करेंगे।

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