नवजोत कौर सिद्धू के बयान पर सीबीआई जांच से इन्कार, HC ने कहा-सड़क पर कोई कुछ भी कह सकता है

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500 करोड़ रुपये का सूटकेस देकर मुख्यमंत्री बनने के डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के कथित बयान को आधार बनाकर सीबीआई जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया।

अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल मीडिया बयानों के आधार पर न तो जनहित याचिका स्वीकार की जा सकती है और न ही जांच के आदेश दिए जा सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को बोलने की स्वतंत्रता है और सड़क पर कोई भी व्यक्ति कुछ भी कह सकता है, भले ही वह लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत ही क्यों न हो। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि ऐसे हर बयान को अदालत जनहित का मामला मानकर सुनवाई के लिए स्वीकार कर ले।

कोर्ट ने कहा कि मीडिया में दिए गए बयान सत्य, असत्य या अर्धसत्य हो सकते हैं। जब तक ऐसे बयान के आधार पर कोई ठोस आपराधिक कृत्य सामने न आए और संबंधित व्यक्ति द्वारा विधिवत लिखित शिकायत दर्ज न कराई जाए, तब तक अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस या सार्वजनिक मंच से दिए गए बयान को आधार बनाकर जांच एजेंसियों को सक्रिय करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन से अदालत ने पूछा कि इस मामले में वास्तविक जनहित क्या है। कोर्ट ने कहा कि केवल यह कह देना कि किसी पद की नीलामी हो रही है, अपने आप में नीलामी या भ्रष्टाचार का ठोस मामला नहीं बन जाता। यदि हर ऐसे बयान को जनहित मान लिया जाए, तो इसकी कोई सीमा तय नहीं की जा सकेगी। खंडपीठ ने आगे कहा कि यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक रूप से इतने गंभीर आरोप लगाने का साहस रखता है, तो उसे कानून के तहत लिखित शिकायत दर्ज कराने का भी साहस दिखाना चाहिए। अदालत ने पूर्व मामलों का हवाला देते हुए कहा कि जब किसी कथित घोटाले या अपराध को लेकर विधिवत शिकायत दर्ज कराई गई तभी सीबीआई जैसी एजेंसियां जांच में उतरीं। मौजूदा मामले में ऐसा कोई आधार मौजूद नहीं है।

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