ऑनलाइन कस्टमर केयर नंबर गूगल पर सर्च करना दो लोगों को पड़ा भारी, साइबर ठगों ने उड़ाए लाखों रुपये
चंडीगढ़: साल खत्म होने को है, लेकिन शहर में साइबर क्राइम थमने का नाम नहीं ले रहा है। चंडीगढ़ में ऑनलाइन कस्टमर केयर नंबर गूगल पर सर्च करने की साधारण भूल दो लोगों पर भारी पड़ गई, वहीं एक अन्य व्यक्ति को ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट के झांसे में आकर लाखों रुपये का भारी नुकसान झेलना पड़ा। साइबर ठगों ने अलग-अलग मामलों में मिलाकर 94 लाख रुपये से अधिक रकम साफ कर दी। पीड़ितों की शिकायतों पर सेक्टर 17, चंडीगढ़ स्थित साइबर सेल पुलिस स्टेशन ने तीन एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि ये मामले डिजिटल फ्रॉड के बढ़ते खतरों का ताजा उदाहरण हैं, जहां लोग मदद के लिए ऑनलाइन नंबर खोजते हैं और जालसाज इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं।
पहला मामला सेक्टर-16/ ए निवासी कमल दीप सिंह से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार, उन्होंने ऑनलाइन सामान मंगवाया था और पेमेंट ट्रांजैक्शन में गलती से लगभग 500 रुपये ज्यादा भुगतान कर दिया। अगले दिन जब डिलीवरी बॉय घर पहुंचा तो उन्होंने उससे इस बारे में बात की। डिलीवरी बॉय ने उन्हें सलाह दी कि कंपनी का कस्टमर केयर नंबर गूगल पर खोजकर वहां शिकायत कर दें। इसी बात पर भरोसा करते हुए कमल दीप ने इंटरनेट पर ई-कार्ट का नंबर खोजा। कुछ देर बाद खुद को कंपनी का अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने उन्हें कॉल किया और भुगतान वापस करवाने के बहाने उनसे बैंक संबंधी जानकारी ले ली। यूपीआई आईडी और कार्ड विवरण साझा करने के बाद उन्होंने देखा कि उनके क्रेडिट कार्ड से चार अलग-अलग ट्रांजैक्शन में कुल 1,92,348 रुपये निकाल लिए गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर सेल ने इस घटना पर बीएनएस की धारा 318(4), 319(2), 336(3), 338, 340(2), 61(2) के तहत एफआईआर दर्ज की है।
दूसरी घटना सेक्टर-35/ए की उमेश कुमार से जुड़ी हुई है। घर में बिजली संबंधी तकनीकी समस्या आई तो उमेश के पति ने चंडीगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन का कस्टमर केयर नंबर ढूंढने के लिए गूगल का सहारा लिया। वहां दिखे नंबर पर कॉल करने के बाद सामने वाला खुद को हेल्पडेस्क कर्मी बताकर लगातार समस्या समाधान का भरोसा देता रहा। बातचीत के दौरान उसने ओटीपी साझा करने को कहा। जैसे ही ओटीपी बताया गया, कुछ ही मिनटों में उनके खाते से कुल 3,67,500 रुपये कई ट्रांजैक्शनों में उड़ गए। शिकायत के आधार पर पुलिस ने इस मामले में भी संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
तीसरा मामला हालिया दिनों में सामने आए साइबर फ्रॉड के सबसे बड़े वित्तीय नुकसान वाले मामलों में से एक माना जा रहा है। सेक्टर-27/डी निवासी राजन अरोड़ा को ऑनलाइन निवेश का झांसा दिया गया। मोटे लाभ के नाम पर उन्हें लगातार निवेश के लिए तैयार किया गया। आकर्षक रिटर्न्स और जल्दी पैसा दोगुना करने के वादों ने उन्हें प्रभावित किया और उन्होंने कई चरणों में लगभग 89,12,435 रुपये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जमा कर दिए। जब मुनाफा मिलना तो दूर, मूल रकम तक वापस नहीं आई, तब जाकर उन्होंने साइबर सेल में शिकायत दी। पुलिस ने इस मामले पर भी बीएनएस की वही धाराएं लगाई है और विस्तार से जांच शुरू कर दी है।
दस साल में चंडीगढ़ के साइबर केसों में उतार-चढ़ाव
हाल ही में लोकसभा के विंटर सेशन में साइबर क्राइम में बढ़ोतरी को लेकर सवाल उठाया गया। यह सवाल सांसद यूसुफ पठान ने पूछा था कि वर्ष 2014 से अब तक देशभर में, विशेषकर वित्तीय धोखाधड़ी जैसे मामलों में, कितनी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने बताया कि साइबर अपराध के आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा संकलित किए जाते हैं और नवीनतम रिपोर्ट वर्ष 2023 की है। इसमें 2014 से 2023 तक के आंकड़े शामिल हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, चंडीगढ़ में साइबर क्राइम के मामले वर्ष 2014 में 55 दर्ज हुए थे।
इसके बाद 2015 में 77, 2016 में 26, 2017 में 32, 2018 में 30, 2019 में 23, 2020 में 17, 2021 में 15, 2022 में 27 और 2023 में 23 मामले सामने आए। इन आंकड़ों से साफ है कि पिछले दस वर्षों में चंडीगढ़ में साइबर अपराधों की संख्या में उतार-चढ़ाव जरूर रहा, लेकिन कुल मिलाकर इसमें हल्की गिरावट देखने को मिली है। वहीं पूरे देश में साइबर क्राइम के मामलों की संख्या 2014 में 9,622 से बढ़कर 2023 में 86,420 तक पहुंच गई। मंत्रालय ने बताया कि नागरिकों से Cybercrime.gov.in पोर्टल और हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करने की अपील की जाती है, साथ ही राज्यों को साइबर अपराध रोकथाम के लिए संसाधन और प्रशिक्षण भी प्रदान किए जा रहे हैं।
