पंजाब रोडवेज की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी, मुफ्त यात्रा करने वाली महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत

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पंजाब रोडवेज, PUNBUS और PRTC के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की हड़ताल शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रही। बसें न चलने की वजह से आम यात्रियों को भारी परेशानी हुई। खासकर महिलाओं को मुफ्त यात्रा न होने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा और उन्हें प्राइवेट बसों में टिकट खरीदकर सफर करना पड़ा। कर्मचारियों का गुस्सा इसलिए है क्योंकि सरकार किलोमीटर स्कीम के तहत टेंडर खोल रही है। उनका आरोप है कि यह सरकारी बसों को खत्म करने और प्राइवेट ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाने की ‘पीछे के दरवाजे’ वाली चाल है। प्राइवेट बसें सरकारी रूटों पर चलेंगी और हजारों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी।

होशियारपुर में PUNBUS कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट संदीप सिंह ने बताया, ‘हमारे 4 बड़े लीडर अभी भी पुलिस हिरासत में हैं, स्टेट कमेटी मेंबर कुलवंत सिंह, डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट रामिंदर सिंह, सेक्रेटरी नरिंदर सिंह और कैशियर धर्मिंदर सिंह। जब तक ये रिहा नहीं होंगे, किलोमीटर स्कीम के टेंडर रद्द नहीं होंगे और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पक्का नहीं किया जाएगा, तब तक हमारा धरना और हड़ताल जारी रहेगी।’ संदीप सिंह ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, ‘पिछले 4 साल में पंजाब रोडवेज़ को एक भी नई बस नहीं दी गई। 500 से ज्यादा पुरानी बसें सड़क से बाहर हो चुकी हैं। जो बसें चल रही हैं, उनमें भी बड़े-बड़े रिपेयर की जरूरत है। टायर तक खरीदने के पैसे नहीं हैं। मेंटेनेंस के लिए फंड ही नहीं है।’

शुक्रवार को हड़ताल शुरू होने से पहले ही पुलिस ने कई यूनियन लीडरों को हिरासत में ले लिया था। इसके बाद कई जगह कर्मचारियों और पुलिस में झड़प हुई। संगरूर में तो मामला बहुत गंभीर हो गया। वहां कुछ कर्मचारी बस के ऊपर चढ़ गए और पुलिस वालों पर पेट्रोल छिड़क दिया। धुरी थाने के SHO की यूनिफॉर्म में आग लग गई और वे झुलस गए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लुधियाना में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘सरकार हमारी मांग मान ले और हिरासत में लिए गए साथियों को तुरंत रिहा करे।’

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सरवन सिंह पंधेर ने भी कर्मचारियों का खुलकर साथ दिया। उन्होंने राज्य सरकार पर इस स्कीम को प्राइवेट ठेकेदारों के हित में लाने का आरोप लगाया। दूसरी तरफ सड़कों पर सरकारी बसें गायब होने से यात्रियों का बुरा हाल है। प्राइवेट बस वाले मनमाना किराया वसूल रहे हैं। मुफ्त यात्रा करने वाली महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हैं। कर्मचारी कह रहे हैं कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, हड़ताल खत्म नहीं होगी। सरकार और यूनियनों के बीच अभी तक कोई बातचीत शुरू नहीं हुई है। अब देखने वाली बात ये है कि यह आंदोलन कब तक चलता है और आम जनता को कब तक परेशानी झेलनी पड़ती है।

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