पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने आप नेता सौरभ भारद्वाज के खिलाफ ईडी की कार्रवाई की निंदा की

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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता सौरभ भारद्वाज के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी की निंदा की और दावा किया कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री पर हो रही चर्चा से ध्यान भटकाने के लिए किया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इससे पहले ईडी ने राष्ट्रीय राजधानी में पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल सरकार के कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाओं में कथित घोटाले से जुड़ी धन शोधन जांच के तहत आप की दिल्ली इकाई के प्रमुख भारद्वाज, कुछ निजी ठेकेदारों और वाणिज्यिक रियल एस्टेट डेवलपर्स के परिसरों पर छापेमारी की। उन्होंने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कम से कम 13 स्थानों पर छापेमारी की गई। मान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, आज सौरभ भारद्वाज के घर पर छापेमारी की गई क्योंकि कल से पूरे देश में यह चर्चा हो रही है कि मोदी जी की डिग्री फर्जी है। यह छापेमारी इसी से ध्यान भटकाने के लिए की गई है।

मान ने कहा, (आप नेता) सत्येंद्र जैन को भी तीन साल जेल में रखा गया और बाद में सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और ईडी ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। इससे साफ है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ दर्ज सभी मामले फर्जी और झूठे हैं। भारद्वाज (45) के खिलाफ ईडी की जांच जून में दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी से सामने आई है। एसीबी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार द्वारा स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप में भारद्वाज, उनकी पार्टी के सहयोगी और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, निजी ठेकेदारों और अज्ञात सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आप की पंजाब इकाई के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने भी भारद्वाज के खिलाफ ईडी की कार्रवाई की आलोचना की। उन्होंने कहा, जब भी मोदी जी पर सवाल उठते हैं, ईडी आप नेताओं के पीछे लगा दी जाती है। आज सौरभ भारद्वाज के खिलाफ छापेमारी इसलिए की गई क्योंकि देश मोदी जी की फर्जी डिग्री पर चर्चा कर रहा है।

अरोड़ा ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, लेकिन सच्चाई यह है कि यह मामला उस समय का है जब सौरभ मंत्री भी नहीं थे। यह पूरा मामला मनगढ़ंत है, ठीक सत्येंद्र जैन के मामले की तरह – जहां उन्हें तीन साल जेल में रखने के बाद एजेंसियों को अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश करनी पड़ी। यह इस बात का सबूत है कि आप नेताओं के खिलाफ सभी मामले फर्जी हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्नातक की डिग्री से संबंधित विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि वह एक सार्वजनिक पद पर हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी सभी निजी जानकारी सार्वजनिक कर दी जाए।

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