चंडीगढ़ जलापूर्ति प्रोजेक्ट पर विवाद तेजः सांसद तिवारी बोले – विजिलेंस नहीं, CBI जांच हो, उद्घाटन शाह ने किया, पानी आज तक नहीं मिला

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चंडीगढ़ के मनीमाजरा में 75 करोड़ की लागत से शुरू की गई 24×7 जलापूर्ति परियोजना पर सांसद मनीष तिवारी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले की विजिलेंस नहीं, बल्कि सीबीआई जांच होनी चाहिए।

 

मनीष तिवारी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया था। इसके बावजूद न तो लोगों को पानी मिल रहा है और न ही यह तय हो पाया है कि किस अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाए। इसी वजह से प्रोजेक्ट अब तक अधूरा पड़ा है।

शहरवासी भी इस फैसले के हक में

 

सांसद तिवारी ने कहा कि चंडीगढ़ मेयर का कार्यकाल एक साल नहीं, 5 साल का होना चाहिए क्योंकि एक साल में मेयर को काम करने का मौका नहीं मिल पाता है। इसे लेकर उन्होंने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन अभी तक इसका हल नहीं निकल पाया है। ज्यादातर शहरवासी भी इस फैसले के हक में हैं।

बीजेपी अध्यक्ष ने दी थी केंद्र को शिकायत

 

चंडीगढ़ बीजेपी अध्यक्ष जतिंदर पाल मल्होत्रा ने केंद्र सरकार को एक चिट्ठी भेजी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि मनीमाजरा में 4 अगस्त 2024 को 24×7 जलापूर्ति परियोजना का उद्घाटन किया गया, लेकिन आज तक वहां एक दिन भी पानी नहीं आया है। लोगों के घरों में गंदा पानी आ रहा है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है।

 

मल्होत्रा ने लिखा था कि इस समस्या का जल्द समाधान किया जाए, ताकि लोगों को पानी की दिक्कत न हो। इसी शिकायत के बाद केंद्र सरकार ने मामला संज्ञान में लिया और इसकी जांच का जिम्मा चंडीगढ़ विजिलेंस विभाग को सौंप दिया।

 

परियोजना का उद्देश्य

 

75 करोड़ की लागत से बनी यह परियोजना मनीमाजरा के एक लाख से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई है। इसमें मॉडर्न हाउसिंग कॉम्प्लेक्स, शिवालिक एन्क्लेव, इंदिरा कॉलोनी और शास्त्री नगर के इलाके शामिल हैं। यह परियोजना स्मार्ट सिटी मिशन का हिस्सा है।

परियोजना का उद्देश्य

 

75 करोड़ की लागत से बनी यह परियोजना मनीमाजरा के एक लाख से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई है। इसमें मॉडर्न हाउसिंग कॉम्प्लेक्स, शिवालिक एन्क्लेव, इंदिरा कॉलोनी और शास्त्री नगर के इलाके शामिल हैं। यह परियोजना स्मार्ट सिटी मिशन का हिस्सा है।

 

इसका उद्देश्य लगातार और उच्च दबाव वाली जल आपूर्ति देना है, ताकि पानी की बर्बादी रोकी जा सके। इसके तहत रिसाव में कमी, स्मार्ट मीटरिंग, भूजल पर निर्भरता घटाना और ऊर्जा की खपत की निगरानी जैसे काम किए जाने हैं।

 

इसके लिए कुल 22 किलोमीटर लंबी जल पाइपलाइन बिछाई गई है और दो भूमिगत जलाशय बनाए गए हैं, जिनकी क्षमता दो-दो मिलियन गैलन प्रतिदिन है।

 

 

 

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