आवारा कुत्तों पर सख्त आदेश के बाद जॉन अब्राहम ने किया रिएक्ट, सुप्रीम कोर्ट को लिखा लेटर

आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं और रेबीज से हो रही मौत की संख्या बढ़ गई है, जिसे देखते हुए। सोमवार, 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को इन आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया था, जहां उनका टीकाकरण होगा। अब कोर्ट के इस सख्त आदेश का कई लोग विरोध भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है। इस बारे में अब एक्टर जॉन अब्राहम ने मंगलवार, 12 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई को एक पत्र लिखकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश की समीक्षा और संशोधन का आग्रह किया। यह पत्र सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकारियों को सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द सड़कों से उठाकर शेल्टर होम में शिफ्ट करने के निर्देश के एक दिन बाद आया है।
पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया के पहले मानद निदेशक नियुक्त किए गए ‘तेहरान’ एक्टर जॉन अब्राहम ने कहा कि कुत्ते आवारा नहीं हैं, बल्कि समुदाय का हिस्सा हैं और बहुत से लोग उन्हें प्यार करते हैं। उन्होंने आगे लिखा, ‘मुझे उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि ये आवारा नहीं, बल्कि सामुदायिक कुत्ते हैं, जिनका कई लोग सम्मान करते हैं, उन्हें बेजुबानों को खिलाते-पिलाते और उन्हें प्यार करते हैं। खासकर दिल्ली के लोग जो उन्हें आवारा कुत्ते नहीं बल्कि सोसाइटी का हिस्सा समझाते हैं।’ एक्टर ने ये भी कहा कि यह निर्देश पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 और इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के पिछले फैसलों के बिल्कुल उलटा है। जॉन का कहना है, ‘एबीसी नियम के अनुसार कुत्तों को किसी शेल्टर होम में नहीं रखते हैं। इसके बजाय उनकी नसबंदी और टीकाकरण करने के बाद उन्हें उन्हीं इलाकों में वापस छोड़ देते हैं जहां वे रहते हैं। जहां एबीसी के नियम को ईमानदारी से लागू किया जाता है।’ साथ ही यह भी बताया कि जयपुर और लखनऊ जैसे शहरों में भी यही नियम अपनाया गया है।
उन्होंने आगे कहा, ‘दिल्ली भी ऐसा ही कर सकती है। नसबंदी के दौरान, कुत्तों को रेबीज का टीका लगाया जाता है और नसबंदी के बाद जानवर शांत हो जाते हैं, झगड़े और काटने की घटनाएं कम होती हैं। चूंकि सामुदायिक कुत्ते क्षेत्रीय होते हैं, इसलिए वे बिना नसबंदी वाले, बिना टीकाकरण वाले कुत्तों को भी अपने इलाके में आने से रोकते हैं।’ जॉन अब्राहम के अनुसार, सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाने से समस्या का समाधान नहीं हो जाता। दिल्ली में अनुमानित 10 लाख कुत्ते हैं। उन सभी को आश्रय देना या स्थानांतरित करना न तो व्यावहारिक है और न ही मानवीय, और उन्हें हटाने से अपरिचित, नसबंदी न किए गए और बिना टीकाकरण वाले कुत्तों के आने का रास्ता खुल जाता है – जिससे प्रतिस्पर्धा, क्षेत्रीय विवाद और जन स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं।
सुझाव देते हुए एक्टर ने कहा, ‘मैं सम्मानपूर्वक इस फैसले की समीक्षा और संशोधन का अनुरोध करता हूं ताकि वैध, मानवीय और प्रभावी एबीसी दृष्टिकोण को अपनाया जा सके जो सही है। संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करते हुए जन स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए हमें आवारा कुत्तों के बारे में भी सोचना चाहिए। एक ऐसा दृष्टिकोण जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 से लगातार बरकरार रखा है।’ बता दें कि अदालत ने दिल्ली के अधिकारियों को लगभग 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर होम बनाने का काम शुरू करने का निर्देश दिया है।