🪷 *हिन्दू पँचांग* 🪷

*29 – 4 – 2025*

🪷 *विक्रम सम्वत~ 2082 (सिद्धार्थ)*

🪷 *दिन ~ मंगलवार*

🪷 *अयन ~ उत्तरायण*

🪷 *द्रिक ऋतु ~ ग्रीष्म*

🪷 *कलयुग ~ 5125 साल*

🪷 *सूर्योदय~ 05:42* (*दिल्ली*)

🪷 *सूर्यास्त ~ 18:55*

🪷 *चन्द्रोदय ~ 06:29*

🪷 *चन्द्रास्त ~ 21:03*

🪷 *तिथि~ द्वितीया*

🪷 *नक्षत्र ~ कृतिका*

🪷 *चंद्र राशि ~ मेष*

🪷 *पक्ष ~ शुक्ल पक्ष*

🪷 *मास ~*

*वैशाख ~ पूर्णिमांत*

*चैत्र ~ अमांत*

🪷 *करण ~*

*कौलव~ 17:31 तक।*

*तैतिल ~ पूरी रात*

🪷 *अभिजीत मुहुर्त ~*

*11:52 – 12:45*

🪷 *राहु काल ~*

*15:37 – 17:16*

🪷 *गण्डमूल ~ ×*

🪷 *पंचक~ ×*

🪷 *दिशा शूल ~ उत्तर*

🪷 *योग ~*

*सौभाग्य योग : यह योग सदा मंगल करने वाला होता है। नाम के अनुरूप यह भाग्य को बढ़ाने वाला है। इस योग में की गई शादी से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इसीलिए इस मंगल दायक योग भी कहते हैं। लोग मुहूर्त तो निकलवा लेते हैं परंतु सही योग के समय में प्रणय सूत्र में नहीं बंध पाते। अत: सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए सौभाग्य योग में ही विवाह के बंधन में बंधने की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।*

🪷 *यात्रा ~*

*मंगलवार*

*गुड़ या उससे बने व्यंजन का सेवन कर यात्रा करें।*

🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷

*भोजन करने के नियम, सनातन धर्म के अनुसार :~*

🪷 *काँसे के बर्तन में भोजन करने से (रविवार छोड़कर) आयु, बुद्धि, यश और बल की वृद्धि होती है।*

🪷 *परोसे हुए अन्न की निन्दा न करें, वह जैसा भी हो, प्रेम से भोजन कर लेना चाहिए। सत्कारपुर्वक खाये गये अन्न से बल और तेज की वृद्धि होती है।*

🪷 *ईष्या, भय, क्रोध, लोभ, राग और द्वेष के समय किया गया भोजन शरीर मे विकार उत्पन्न कर रोग को आमंत्रित करता है।*

🪷 *भोजन मे पहले मीठा, बीच में नमकीन एवं खट्टी तथा अंत मे कड़वे पदार्थ ग्रहण करें।*

🪷 *कोई भी मिष्ठान्न पदार्थ जैसे हलवा, खीर, मालपूआ इत्यादि देवताओं एवं पितरों को अर्पण करके ही खाना चाहिए।*

🪷 *जल, शहद, दुध, दही, घी, खीर और सत्तु को छोड़कर कोई भी पदार्थ सम्पुर्ण रूप से नही खाना चाहिए। (अर्थात बिल्कुल थोड़ा सा थाली मे छोड़ देना चाहिए )।*

🪷 *जिससे प्रेम न हो उसके यहाँ भोजन कदापि न करें।*

🪷 *मल मूत्र का वेग होने पर, कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल, वट वृक्ष के नीचे, भोजन नहीं करना चाहिए।*

🪷 *आधा खाया हुआ फल, मिठाइयाँ आदि पुनः नहीं खानी चाहिए।*

🪷 *खाना छोड़ कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए।*

🪷 *गृहस्थ को ३२ ग्रास से ज्यादा नहीं खाना चाहिए।*

🪷 *थोड़ा खाने वाले को आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुन्दर संतान, और सौंदर्य प्राप्त होता है।*

🪷 *जिसने ढिंढोरा पीट कर खिलाया हो वहां कभी न खाए।*

🪷 *कुत्ते का छुआ, रजस्वला स्त्री का परोसा, श्राद्ध का निकाला, बासी, मुंह से फूक मरकर ठंडा किया, बाल गिरा हुआ भोजन, अनादर युक्त, अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करें ।*

🪷 *कंजूस का, राजा का, चरित्रहीन के हाथ का, शराब बेचने वाले का दिया भोजन कभी नहीं करना चाहिए।*

🪷 *भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले ३ रोटियां अलग निकाल कर ( गाय, कुत्ता, और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालो को खिलाएं।*

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