बिना NET की परीक्षा पास किए एक्टेंशन लेक्चरर की सेवा नहीं दे पाएंगे MPHIL डिग्री धारक, दिया गया यह आदेश

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 पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एमफिल डिग्री धारक एक्सटेंशन लेक्चरर्स जिन्होंने यूजीसी नेट नहीं उत्तीर्ण किया है, वे अपनी सेवा जारी रखने के अधिकारी नहीं हैं और उन्हें सेवा से मुक्त किया जाना अनिवार्य है। 

इस संबंध में जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने कहा कि जब याचिकाकर्ता पात्रता की शर्तों को पूरा नहीं करता है, तो उसे नीति निर्देशों के अनुसार एक्सटेंशन लेक्चरर के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता। इसलिए उसे सेवा में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है और उसे नीति के अनुसार सेवा से मुक्त किया जाना चाहिए। 

यह याचिका गौरव सोरौत नामक एक्सटेंशन लेक्चरर द्वारा दायर की गई थी जिन्होंने उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे अंग्रेजी विषय में एक्सटेंशन लेक्चरर पद के लिए अयोग्य घोषित किया गया था।

गौरव सोरौत वर्तमान में राजकीय कॉलेज होडल, पलवल में कार्यरत थे, जहां प्राचार्य ने सरकारी नीति के तहत उन्हें सेवा से हटाने का निर्देश दिया था। गौरव ने जून 2009 में विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी से एमफिल (अंग्रेजी) की डिग्री प्राप्त की थी और 2013 में उन्हें एक्सटेंशन लेक्चरर के रूप में नियुक्त किया गया था। 20 जुलाई 2017 को, उन्हें पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।इस याचिका के अंतरिम आदेश में कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक अगली सुनवाई न हो, उनकी जगह किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया जाएगा और यदि कार्यभार पर्याप्त हो तो बिना साक्षात्कार के उसे जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।

 

इसके बाद, हरियाणा सरकार ने एक्सटेंशन लेक्चरर की नियुक्ति से संबंधित नीति दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि केवल वही व्यक्ति नियुक्त किए जाएंगे जो हरियाणा शिक्षा कॉलेज कैडर ग्रुप बी सेवा नियम 1986 के अनुसार पात्रता रखते हों। इसके अलावा गैर-योग्य व्यक्तियों को हटा दिया जाएगा।

 

गौरव सोरौत ने यूजीसी की 27 सितंबर 2010 की बैठक के फैसले का हवाला देते हुए खुद को पात्र बताया जिसमें यह कहा गया था कि 11 जुलाई 2009 से पहले एमफिल प्राप्त करने वालों को यूजीसी नेट से छूट दी गई थी। कोर्ट ने पाया कि 1986 के सेवा नियमों के तहत सरकारी कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर पद के लिए यूजीसी नेट उत्तीर्ण करना एक न्यूनतम पात्रता शर्त है।

चंडीगढ़ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (केमिस्ट्री) पद की स्क्रीनिंग टेस्ट प्रश्नपत्र और अक्टूबर 2024 में प्रकाशित अंतिम उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञ समिति पहले ही गठित हो चुकी है और जब तक इसमें किसी तरह की दुर्भावना का आरोप न हो तब तक कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

 

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ ने कहा कि विशेषज्ञ समिति को उठाई गई आपत्तियों की जांच के लिए गठित किया गया था और यह समिति संबंधित विषय के प्रोफेसरों की थी, जिन्होंने एक निष्कर्ष पर पहुंचकर रिपोर्ट दी है।

 

इस स्थिति में, यह कोर्ट विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट की समीक्षा नहीं करेगा क्योंकि हम इस क्षेत्र के विशेषज्ञ नहीं हैं। जब तक कि समिति के खिलाफ दुर्भावना या पक्षपात का कोई आरोप न लगाया जाए। एकल जज के निर्णय के खिलाफ हाई कोर्ट की डिविजन बेंच में अपील दायर की गई थी। जिस पर डिविजन बेंच ने यह फैसला दिया।

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