आदिबद्री बांध के निर्माण को लेकर हिमाचल-हरियाणा में हुआ समझौता: एसवाईएल विवाद के बाद सरकार ने पानी का बंदोबस्त करने के प्रयास किए शुरू

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चंडीगढ़ : पंजाब के साथ सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को लेकर चल रहे विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने प्रदेश में पानी के दूसरे बंदोबस्त भी करने शुरू कर दिए हैं। प्रदेश में उपलब्ध पानी के मुकाबले डिमांड अधिक है और आए दिन बढ़ रही है। इसी वजह से बारिश के पानी को स्टोर के लिए डैम निर्माण सहित दूसरे विकल्प सरकार तलाश रही है। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश के साथ आदिब्रदी बांध के निर्माण के लिए समझौता किया गया है। बजट सत्र के दौरान राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में इसका जिक्र किया। पूर्व की मनोहर सरकार के प्रयासों से यह योजना सिरे चढ़ी और बांध पर निर्माण शुरू हुआ। आदिबद्री बांध के जून-2027 तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे मिलने वाला पानी प्रदेश के किसानों के सिंचाई में इस्तेमाल किया जा सकेगा। साथ ही, पेयजल आपूर्ति में भी इजाफा संभव हो पाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से ही बरसों से लटके रेणुका, किशाऊ और लखवाड़ व्यासी बांधों (डैम) के निर्माण की दिशा में कार्रवाई आगे बढ़ी है।

हरियाणा को मिलेगा 47.81 प्रतिशत पानी

यमुना नदी तथा उसकी सहायक नदियों – गिरी व टोंस से राज्य को पानी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ये तीनों बांध बेहद जरूरी हैं। इन बांधों के पूरा होने के बाद कुल भंडारित पानी का 47.81 प्रतिशत पानी हरियाणा को मिलेगा। वहीं दूसरी ओर, तालाबों के जीर्णोद्धार एवं कायाकल्प के साथ-साथ गंदे पानी के उपचार एवं प्रबंधन के उद्देश्य से हरियाणा तालाब अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया गया है। अमृत सरोवर मिशन के तहत 2215 तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य पूरा हो चुका है।

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