अयोध्‍या में भीड़ का महाकुंभ, पहले से दोगुना भक्तों को दर्शन दे रहे रामलला; देर रात तक खुल रहे मंद‍िर

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 भव्य-दिव्य राम मंदिर में विराजमान रामलला अब पहले से दोगुणा भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। प्रयागराज महाकुंभ के पलट प्रवाह ने ऐसा प्रभाव दिखाया है कि मंदिर की पूर्व निर्धारित दिनचर्या तो प्रभावित हुई ही, दर्शन अवधि का भी पालन नहीं हो पा रहा है। 

भक्तों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाने के कारण मंदिर को पखवारे भर से अधिक समय से मध्यरात्रि 12 बजे के बाद भी खोलना पड़ रहा है। श्रद्धालु बढ़ने पर ट्रस्ट ने दर्शन अवधि तो बढ़ाई लेकिन 17 घंटे भी कम पड़ जा रहे हैं। इधर, कई दिनों से रामलला नित्य 19 घंटे तक दर्शन दे रहे हैं।
गुरुवार को भी रात्रि 12:10 बजे मंदिर बंद किया गया। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गत एक अक्टूबर को नवरात्र के प्रथम दिन से मंदिर की दिनचर्या व्यवस्थित करके रामलला के दर्शन अवधि तय कर दी थी। तबसे मंदिर के पट सुबह सात बजे खुल रहे थे और मध्याह्न में 12:30 से 1:30 बजे तक एक घंटे बंदी हो रही थी। फिर डेढ़ बजे से रात नौ बजे तक दर्शन होते थे और शयन आरती के उपरांत साढ़े नौ बजे तक पट बंद हो जाते थे।
11 जनवरी को प्रतिष्ठा द्वादशी नाम से मंदिर की प्रथम वर्षगांठ मनाई गई और इसी अवधि में प्रयागराज में महाकुंभ का प्रारंभ हुआ तो 22 जनवरी व उसके बाद 26 जनवरी से श्रद्धालुओं की संख्या अचानक बढ़ गई। प्रतिदिन अप्रत्याशित संख्या में भक्त पहुंचने लगे तो ट्रस्ट की ओर से तय की गई दिनचर्या अव्यवस्थित हो गई और मंदिर को सुबह पांच बजे से ही खोलना पड़ा।
कई दिनों तक ऐसी स्थिति रही तो फरवरी के प्रथम सप्ताह में ट्रस्ट ने विज्ञप्ति जारी कर दर्शन अवधि बढ़ाते हुए 17 घंटे कर दी। तय समयावधि के अनुसार सुबह पांच बजे मंदिर खोला जाना था और रात्रि दस बजे बंद किया जाना था, लेकिन हर दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जा रही है।सूत्रों का कहना है कि गत पखवारे भर से शायद ही कोई ऐसा दिन हो, जब मंदिर 12 बजे से पहले बंद हुआ हो। मध्यरात्रि तक मंदिर खुलने के कारण दर्शनावधि 19 घंटे तक हो जा रही है। एसपी सुरक्षा बलरामाचारी दुबे कहते हैं कि रात्रि के समय में रामजन्मभूमि पथ पर दर्शनार्थियों का दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है।

अधिकाधिक भक्त रामलला का दर्शन करके वापस हो सकें, इसके लिए ट्रस्ट पदाधिकारियों से समन्वय स्थापित कर साढ़े 11 बजे तक रामजन्मभूमि पथ से प्रवेश दिया जाता है और 12 बजे तक दर्शन कराया जाता है। उन्होंने बताया कि गुरुवार को भी रात्रि 12:10 बजे तक मंदिर खुला था।
जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य ने कहा कि दर्शनार्थियों की संख्या के आगे सिद्धांत नहीं बदले जाते हैं। किसी भी मंदिर का अपना नियम व विधान होता है। यदि राम मंदिर में विराजमान रामलला को बालक स्वरूप में माना जा रहा है तो उनकी सुख-सुविधाओं का भी पूरा ध्यान रखना होगा।

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